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सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान उस समय एक अजीब स्थिति उत्पन्न हो गई, जब एक वकील ने एक पूर्व न्यायाधीश के बारे में टिप्पणी कर दी, जिससे कोर्ट नाराज़ हो गया। वकील ने पूर्व न्यायाधीश जस्टिस वर्मा के बारे में कुछ ऐसा कहा, जो कोर्ट को अनुचित और अपमानजनक लगा।

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने वकील को फौरन टोकते हुए कहा, "थोड़ी तो मर्यादा रखिए। वो आज भी हमारे लिए जस्टिस वर्मा हैं। उनके योगदान को हम कभी नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते।" कोर्ट ने कहा कि भले ही कोई न्यायाधीश सेवानिवृत्त हो चुका हो, लेकिन सम्मान और शिष्टाचार में कोई कमी नहीं होनी चाहिए।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि कानून के दायरे में बहस करना सभी का अधिकार है, लेकिन भाषा की गरिमा बनाए रखना भी उतना ही जरूरी है। मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि, “हमारे देश की न्याय प्रणाली की गरिमा इसी में है कि हम एक-दूसरे का सम्मान करें, खासकर न्यायपालिका से जुड़े लोगों का।”

इस घटना के बाद कोर्ट ने वकील को चेतावनी दी कि भविष्य में ऐसी भाषा का इस्तेमाल करने से बचें। साथ ही यह भी कहा गया कि अगर कोर्ट की कार्यवाही में असंयमित भाषा का प्रयोग होगा, तो उसे गंभीरता से लिया जाएगा।

यह मामला एक बार फिर यह याद दिलाता है कि न्यायालय में भाषा, आचरण और मर्यादा का पालन करना सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक जरूरी परंपरा है, जो न्यायिक प्रक्रिया की नींव को मजबूत बनाती है।

 

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