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Up Kiran, Digital Desk: दिल्ली की राजनीति में इन दिनों 'नोबेल पुरस्कार' को लेकर एक गरमागरम बहस छिड़ी हुई है। "शासन के लिए मुझे नोबेल मिलना चाहिए!" – यह दावा खुद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने किया है। लेकिन उनके इस बयान पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है, जिसने राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है।

अरविंद केजरीवाल का मानना है कि उनकी आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं के क्षेत्र में जो अभूतपूर्व काम किए हैं, वे दुनिया के लिए मिसाल हैं। उनका इशारा शायद मोहल्ला क्लीनिक, सरकारी स्कूलों में सुधार, मुफ्त बिजली-पानी जैसी योजनाओं की ओर है, जिनके लिए उनकी सरकार अक्सर वाहवाही बटोरती है। केजरीवाल और उनकी पार्टी का दावा है कि उन्होंने दिल्ली में एक ऐसा 'शासन मॉडल' विकसित किया है, जिसे दुनिया भर के देशों को अपनाना चाहिए।

लेकिन BJP ने केजरीवाल के इस दावे को सिरे से खारिज करते हुए उन पर तीखा हमला बोला है। BJP नेताओं का कहना है कि केजरीवाल को 'शासन' के लिए नहीं, बल्कि 'भ्रष्टाचार और अक्षमता' के लिए नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए। वे दिल्ली सरकार पर शराब नीति घोटाले, प्रशासनिक विफलताओं और झूठे वादों के गंभीर आरोप लगाते रहे हैं। 

BJP का कहना है कि AAP सरकार केवल दिखावा करती है और ज़मीन पर कोई ठोस काम नहीं करती, बल्कि भ्रष्टाचार में लिप्त है। उनके अनुसार, दिल्ली में कई योजनाएं केवल कागज़ों पर ही बेहतर दिखती हैं, ज़मीन पर उनकी हकीकत कुछ और है।

यह सिर्फ नोबेल पुरस्कार की बात नहीं है, बल्कि दिल्ली की सत्ताधारी AAP और विपक्षी BJP के बीच चल रही राजनीतिक खींचतान का एक और अध्याय है। दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर लगातार हमले करती रहती हैं, और यह बयानबाजी उसी का हिस्सा है, जो आए दिन सुर्खियां बटोरती रहती है।

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