Nandini ghee: आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के प्रसिद्ध लड्डू (प्रसादम) में कथित तौर पर पशु चर्बी और अन्य पदार्थों की मिलावट को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने लड्डू में मिलावट की पुष्टि करने वाली एक लैब रिपोर्ट सार्वजनिक रूप से जारी की। जवाब में सरकार ने लड्डू के लिए घी की आपूर्ति करने वाली कंपनी को बदल दिया है और कथित तौर पर आपूर्तिकर्ता को ब्लैकलिस्ट कर दिया है।
जानकारी के अनुसार, तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) अब लड्डू तैयार करने के लिए 'नंदिनी' ब्रांड के घी का इस्तेमाल करेगा और कंपनी को आपूर्ति का ऑर्डर पहले ही दे दिया गया है।
जिस तरह अमूल या मदर डेयरी जैसे ब्रांड उत्तर भारत में प्रसिद्ध हैं, उसी तरह 'नंदिनी' दक्षिण भारतीय घरों में भी प्रसिद्ध है। 'नंदिनी' कर्नाटक का सबसे बड़ा डेयरी ब्रांड है और आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र और गोवा में इसकी अच्छी-खासी पकड़ है। नंदिनी ब्रांड का स्वामित्व कर्नाटक सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड (केएमएफ) के पास है, जो गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ (जीसीएमएमएफ) के बाद भारत में दूसरा सबसे बड़ा डेयरी सहकारी संघ है, जो अमूल का उत्पादन करता है।
केएमएफ और नंदिनी की शुरुआत कैसे हुई?
कर्नाटक में पहली सहकारी डेयरी 1955 में कोडागु जिले में स्थापित की गई थी। उस समय, पैकेज्ड दूध बहुत आम नहीं था और किसान सीधे घरों तक दूध पहुंचाते थे। 1970 के दशक तक, दूध उत्पादन बढ़ाने के प्रयास किए गए, जिसके कारण भारत में 'श्वेत क्रांति' का जन्म हुआ। इस समय के आसपास, विश्व बैंक ने डेयरी विकास के लिए कई योजनाएँ शुरू कीं।
डेयरी क्रांति और 'नंदिनी' का जन्म
1974 में कर्नाटक सरकार ने राज्य में विश्व बैंक की डेयरी परियोजनाओं को लागू करने के लिए कर्नाटक डेयरी विकास निगम (केडीसीसी) की स्थापना की। एक दशक बाद, 1984 में संगठन का नाम बदलकर कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (केएमएफ) कर दिया गया। लगभग उसी वक्त कंपनी ने 'नंदिनी' ब्रांड के तहत दूध और अन्य उत्पाद पेश किए, जो जल्द ही कर्नाटक का सबसे लोकप्रिय डेयरी ब्रांड बन गया और पड़ोसी राज्यों में अपना बिजनेस बढ़ा लिया।
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