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केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने शुक्रवार को एक चौंकाने वाली घोषणा में कहा कि भारत सिंधु जल संधि को निलंबित करते हुए यह सुनिश्चित करेगा कि सिंधु नदी का "एक बूँद पानी" भी पाकिस्तान तक न पहुँचे। ये बयान गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर हुई एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद आया है जिसमें वरिष्ठ सरकारी अधिकारी भी शामिल थे।

एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में श्री पाटिल ने इस निर्णय को "ऐतिहासिक और पूरी तरह से उचित" बताया। उन्होंने हिंदी में लिखा "सिंधु जल संधि पर मोदी सरकार द्वारा लिया गया ऐतिहासिक निर्णय पूरी तरह से उचित और राष्ट्रहित में है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि सिंधु नदी का एक बूँद पानी भी पाकिस्तान न जाए।"

यह कदम जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले के जवाब में उठाया गया है जिसमें 25 पर्यटक और एक स्थानीय निवासी मारे गए थे। भारत ने बुधवार को औपचारिक रूप से 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करने की घोषणा की थी। गुरुवार को जल शक्ति मंत्रालय ने पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय के सचिव सैयद अली मुर्तजा को एक औपचारिक नोटिस भेजा।

मंत्रालय ने अपने पत्र में कहा "सद्भावनापूर्वक संधि का सम्मान करना मौलिक दायित्व है। हालांकि इस सिद्धांत को कायम रखने के बजाय पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर को निशाना बनाकर सीमा पार आतंकवाद का समर्थन करना जारी रखा है।"

भारत की योजना

बैठक के बाद अधिकारियों ने पुष्टि की कि संधि के निलंबन का क्रियान्वयन तुरंत शुरू हो जाएगा। एक विस्तृत रणनीति पर चर्चा की गई जिसमें तत्काल मध्यावधि और दीर्घकालिक कार्रवाइयाँ शामिल हैं।

विश्व बैंक द्वारा की गई इस संधि के तहत भारत को तीन पूर्वी नदियों - रावी ब्यास और सतलुज - पर विशेष नियंत्रण प्राप्त है जबकि पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों - सिंधु झेलम और चिनाब - से लगभग 135 मिलियन एकड़ फीट (एमएएफ) पानी प्राप्त करने का अधिकार है जो भारत से पाकिस्तान में बहती हैं।

अल्पावधि में भारत सिंधु झेलम और चिनाब पर मौजूदा बांधों की गाद निकालने जैसे कदमों पर विचार कर रहा है ताकि भंडारण क्षमता बढ़ाई जा सके और पाकिस्तान में पानी का प्रवाह कम किया जा सके। दीर्घावधि में योजनाओं में नए बांधों और जल अवसंरचना का निर्माण शामिल हो सकता है।

इस कदम से भारत को दो जलविद्युत परियोजनाओं - झेलम की सहायक नदी पर किशनगंगा और चिनाब की सहायक नदी पर निर्माणाधीन रतले परियोजना - पर पाकिस्तान की आपत्तियों को दरकिनार करने का अवसर मिल गया है।

अधिकारियों ने कहा कि विश्व बैंक या अन्य अंतरराष्ट्रीय निकायों की आपत्तियों के मामले में कानूनी प्रतिक्रिया तैयार की जा रही है। वैश्विक समुदाय को भारत के तर्क समझाने के लिए कूटनीतिक संपर्क जारी रहेगा। भारतीय नागरिकों को कम से कम परेशानी हो इसके लिए जल शक्ति मंत्रालय गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के बीच समन्वय चल रहा है।

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया

पाकिस्तान ने इस कदम पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि संधि के तहत आवंटित जल प्रवाह को रोकने या मोड़ने के किसी भी प्रयास को "युद्ध की कार्रवाई" माना जाएगा और राष्ट्रीय शक्ति के सभी क्षेत्रों से इसका जोरदार जवाब दिया जाएगा।

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