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बिहार में विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है और टिकट बंटवारे को लेकर हर पार्टी में घमासान मचा हुआ है. लेकिन इस बीच, विपक्षी 'महागठबंधन', खासकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को एक बड़ा झटका लगा है. पार्टी के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंकने वाले चार नेताओं ने आरजेडी के आधिकारिक उम्मीदवारों के समर्थन में अपना नामांकन वापस ले लिया है.

मान गए बागी, पर पिक्चर अभी बाकी है

खबरों के मुताबिक, जिन चार बागियों ने अपना नाम वापस लिया है, वे अलग-अलग विधानसभा सीटों से निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतर गए थे. ये नेता अपनी पार्टी द्वारा टिकट न दिए जाने से नाराज थे. हालांकि, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व, जिसमें तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव शामिल हैं, के हस्तक्षेप और मान-मनौव्वल के बाद इन नेताओं ने अपना पर्चा वापस ले लिया.

पार्टी के सूत्रों का कहना है कि यह आरजेडी के लिए एक बड़ी राहत है, क्योंकि इन बागियों के मैदान में बने रहने से वोटों का बंटवारा हो सकता था, जिसका सीधा फायदा बीजेपी और एनडीए गठबंधन को मिलता.

क्यों है यह महागठबंधन के लिए बड़ा झटका?

भले ही इन चार उम्मीदवारों ने अपना नाम वापस ले लिया हो, लेकिन यह घटना महागठबंधन, खासकर आरजेडी के भीतर चल रही अंदरूनी कलह को उजागर करती है. यह इस बात का संकेत है कि टिकट बंटवारे को लेकर पार्टी के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है. इस घटना से पार्टी के काडर और वोटरों के बीच एक गलत संदेश जा सकता है.

उजागर हुई अंदरूनी कलह: कई सीटों पर पार्टी के कार्यकर्ता टिकट वितरण से नाखुश हैं. यह घटना दिखाती है कि पार्टी के भीतर गहरे मतभेद हैं.

वोट कटने का डर: हालांकि इन चार लोगों ने नाम वापस ले लिया है, लेकिन कई और सीटों पर भी बागी उम्मीदवार अभी भी मैदान में हैं. अगर ये नहीं माने, तो ये आरजेडी का खेल बिगाड़ सकते हैं.

एनडीए को मनोवैज्ञानिक बढ़त: विपक्ष के घर में इस तरह की फूट एनडीए को एक मनोवैज्ञानिक बढ़त देती है.

अब देखना यह है कि क्या आरजेडी अपने बाकी नाराज नेताओं को मनाने में कामयाब हो पाती है या नहीं, क्योंकि चुनाव में एक-एक सीट और एक-एक वोट कीमती होता है.