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भारत-पाकिस्तान के संबंध चाहे कितने भी शत्रुतापूर्ण क्यों न हों, हमारी सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती पाकिस्तान नहीं बल्कि चीन है। ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तान की नीयत कितनी भी खराब क्यों न हो, रणनीतिक तैयारी या रक्षा बजट के मामले में वह बहुत पीछे है। यही कारण है कि यदि भारत वर्षों से अपना रक्षा बजट बढ़ाता है, तो उसे पाकिस्तान के बजाय चीन पर ध्यान देना चाहिए।

इस बिंदु को स्पष्ट करने के लिए, यह कहना पर्याप्त है कि 2021 में पाकिस्तान का रक्षा बजट केवल 11.3 बिलियन डॉलर था, जबकि उस वर्ष भारत का रक्षा बजट 76।6 बिलियन डॉलर था। यानी यह पाकिस्तान से लगभग सात गुना ज्यादा है, मगर हम चीन से पिछड़ रहे हैं। कुल रक्षा बजट के मामले में भारत निश्चित रूप से दुनिया में तीसरे स्थान पर है। मगर दूसरे नंबर पर काबिज चीन इस मामले में हमसे बहुत आगे है। ऐसे में सबकी निगाहें मोदी सरकार के नए बजट में रक्षा के प्रावधान पर टिकी हैं।

क्या भारत की रक्षा पर्याप्त है?

भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में रक्षा के लिए 5.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक का बजट रखा है, जो भारत सरकार के कुल व्यय का 13.3 प्रतिशत है। मगर थोड़ा पीछे चलते हैं और हिंदुस्तान व चीन के रक्षा बजट की तुलना करते हैं। ताकि यह साफ हो सके कि दोनों देशों ने बीते सालों में अपने सैन्य खर्च में कितना इजाफा किया है। विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, हिंदुस्तान का रक्षा व्यय सन् 2000 से अपने सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 से 3.1 प्रतिशत के बीच रहा है। मगर खर्चों की निरपेक्ष संख्या में काफी वृद्धि हुई है।

2001 में भारत का कुल रक्षा बजट 14.6 बिलियन डॉलर था, जो 2011 तक अगले 10 वर्षों में 339 प्रतिशत या लगभग साढ़े तीन गुना बढ़कर 49.63 बिलियन डॉलर हो गया। बाद के 10 सालों में इसमें भी इजाफा हुआ। 2021 में भारत का रक्षा बजट 76.6 अरब डॉलर था, जो जीडीपी का 2.7 प्रतिशत है। यह रकम 2001 के रक्षा खर्च से लगभग पचास % अधिक थी। इससे पहले 2020 में, भारत ने रक्षा पर जीडीपी के 2.9 प्रतिशत के बराबर 72.94 बिलियन डॉलर खर्च किए थे। इससे साफ है कि भारत ने अपने रक्षा बजट में निरंतर इजाफा किया है। मगर इस वृद्धि की गति वैसी नहीं रही, जैसी 2001 से 2011 के दशक में थी।

चीन का भारी भरकम रक्षा बजट

विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, 2021 में चीन का सैन्य खर्च 293.35 अरब डॉलर था। जैसा कि हमने पहले बताया, उस साल भारत का रक्षा खर्च 76.6 अरब था। जाहिर है, चीन ने उस साल अपनी सुरक्षा पर हमसे 4 गुना ज्यादा खर्च किया। बीते 10-12 सालों में चीन और भारत के रक्षा खर्च के बीच का अंतर तेजी से बढ़ा है।

2010 में जब भारत का सैन्य खर्च 46.09 अरब था। उस वक्त चीन अपनी सुरक्षा पर 105.52 अरब डॉलर खर्च कर रहा था। यानी आपसे दोगुना। हालांकि, आंकड़े बताते हैं कि यह अंतर बढ़ता ही जा रहा है। 2019 में, चीन का सैन्य खर्च बढ़कर 240.33 अरब डॉलर हो गया, जबकि भारत के लिए यह आंकड़ा उस साल केवल 71.47 अरब डॉलर तक पहुंच गया। यानी जो अंतर 2010 में दोगुने से ज्यादा था वह 2019 में तीन गुना हो गया है।

 

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