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Up Kiran, Digital News: जरा सोचिए कि एक सवेरे जब सूरज उगने से पहले ही आकाश 100 सूरजों जितना चमकने लगे। सायरन बजें, लोग चीखें और महज चंद सेकेंड में एक पूरा शहर खामोश हो जाए। यह कोई साइंस-फिक्शन फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं, बल्कि परमाणु हमले की हकीकत है।

हाल ही में भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर में नौ आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किए जाने के बाद पाकिस्तान के सुर बदले-बदले से हैं। एक ओर वह लगातार ड्रोन हमलों से भारत को उकसा रहा है। वहीं दूसरी ओर उसके मंत्री परमाणु हमले की धमकी तक देने लगे हैं। मगर सवाल ये है—अगर सच में परमाणु बम फटा तो आम लोगों के पास बचने के लिए कितना वक्त होगा और क्या तबाही होगी।

परमाणु हमला नहीं तबाही की शुरुआत कहिए

जब कोई परमाणु बम फटता है, तो वह सिर्फ एक विस्फोट नहीं होता—वह एक पूरा “तबाही का इकोसिस्टम” होता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ब्लास्ट के वक्त 100 सूरज जितनी तेज रोशनी निकलती है, जिससे आंखें कुछ सेकेंड में ही अंधी हो सकती हैं। ये रोशनी इतनी तेज होती है कि 100 किलोमीटर दूर खड़े व्यक्ति की भी रेटिना जल सकती है।

जी हां, आपने सही पढ़ा। परमाणु ब्लास्ट के समय तापमान 10 लाख डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है। इसका मतलब? स्टील, कंक्रीट और इंसानी शरीर—सब कुछ पल भर में भस्म हो जाता है। इससे पैदा होने वाली हीट वेव हर तरफ आग की लपटें फैलाती है और शहर जलता हुआ नर्क बन जाता है।

तबाही का दायरा कितना

परमाणु विस्फोट के साथ एक भयंकर शॉकवेव आती है जो 10 किलोमीटर के दायरे में मौजूद हर इमारत, पेड़ और जीवन को तबाह कर देती है। ये हवा नहीं, आग की लहर होती है जो सबकुछ चीरती चली जाती है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिर्फ एक घंटे में करीब दो लाख लोग जान गंवा सकते हैं। और जो बच भी जाते हैं, वे विकिरण से लंबे समय तक पीड़ित रहते हैं- कैंसर, झुलसी त्वचा, और DNA में बदलाव तक।

रेडिएशन: मौत का धीमा जहर

विस्फोट के बाद हवा में रेडियोएक्टिव कण फैलते हैं, जिन्हें "ब्लैक रेन" या "काली बारिश" कहा जाता है। ये कण 100 किलोमीटर से ज्यादा दूर तक फैल सकते हैं। इनमें गामा किरणें, न्यूट्रॉन, अल्फा और बीटा पार्टिकल्स शामिल होते हैं, जो इंसानी शरीर के अंदर घुसकर अंगों को धीरे-धीरे नष्ट करते हैं।

बचने के लिए कितना टाइम मिलेगा

ये सबसे बड़ा सवाल है कि यदि परमाणु हमला होता है, तो बचने का समय कितना मिलेगा। इसका जवाब है सिर्फ कुछ सेकेंड से लेकर 1-2 मिनट तक। अगर आप विस्फोट की 'ग्राउंड ज़ीरो' लोकेशन से 10 किलोमीटर की दूरी पर हैं, तो आपके पास शायद 20-30 सेकेंड होंगे छुपने के लिए। मगर अगर आप 50 किलोमीटर दूर हैं, तो 2-3 मिनट तक का वक्त मिल सकता है, वो भी यदि अलर्ट सिस्टम पहले ही एक्टिव हो जाए।

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