
Up Kiran, Digital Desk: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) में समुद्री सुरक्षा पर आयोजित एक उच्च-स्तरीय बहस के दौरान, भारत ने एक बार फिर "मुक्त, खुले और नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था" के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता दोहराई। यह व्यवस्था अंतर्राष्ट्रीय कानून पर आधारित है और संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून कन्वेंशन (UNCLOS) के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित है।
MAHASAGAR: भारत का समुद्री सुरक्षा विजन
इस महत्वपूर्ण बहस में, विदेश मंत्रालय (MEA) के सचिव (पश्चिम) तानमय लाल (Tanmaya Lal) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उल्लिखित 'MAHASAGAR' (Mutual and Holistic Advancement for Security and Growth Across Regions) - भारत के समुद्री सुरक्षा विजन - पर प्रकाश डाला। लाल ने अगस्त माह के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सदस्यता ग्रहण करने पर पनामा को बधाई भी दी।
समुद्री मार्गों का महत्व और भारत की भूमिका: तानमय लाल ने वैश्विक व्यापार, ऊर्जा आपूर्ति, संचार केबल और पारंपरिक व गैर-पारंपरिक समुद्री खतरों के लिए समुद्री मार्गों के महत्वपूर्ण महत्व पर जोर दिया। उन्होंने भारत की दीर्घकालिक समुद्री परंपरा का भी उल्लेख किया और कहा कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के नाते, भारत की समुद्री सुरक्षा में गहरी हिस्सेदारी और हित हैं।
भारत का विशाल समुद्री पदचिह्न: लाल ने अपने संबोधन में भारत के विशाल समुद्री विस्तार का विवरण देते हुए कहा, “भारत की 11,000 किमी से अधिक की तटरेखा, लगभग 1,300 अपतटीय द्वीप और लगभग 2.3 मिलियन वर्ग किमी में फैला विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) है।
भारत 7 राष्ट्रों के साथ समुद्री सीमाएं साझा करता है। भारत के तट पर 12 प्रमुख बंदरगाह, 200 छोटे बंदरगाह और लगभग 30 जहाज-यार्ड हैं, जो जहाज निर्माण की हमारी पुरानी परंपरा को जारी रखते हैं। भारत वैश्विक समुद्री उद्योग के लिए सीफेयरर्स (समुद्री नाविकों) का तीसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता भी है।”
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