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Up Kiran, Digital Desk: सरकारी गलियारों में एक फोन कॉल न उठाना कितना महंगा पड़ सकता है, इसका एक बड़ा उदाहरण बेंगलुरु में देखने को मिला। कर्नाटक के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री, बी.जेड. जमीर अहमद खान, जब अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक कर रहे थे, तब उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। वजह? रायचूर जिले के एक अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने स्थानीय विधायक का फोन नहीं उठाया था।

मामला तब सामने आया जब रायचूर ग्रामीण से कांग्रेस विधायक, सैयद यासीन ने बैठक में मंत्री से शिकायत की। उन्होंने कहा, "सर, हमारे जिले के अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, सैयद अहमद कादरी, मेरा फोन ही नहीं उठाते। अगर एक जनप्रतिनिधि का फोन नहीं उठाया जाएगा, तो आम जनता की समस्याओं का समाधान कैसे होगा?"

यह सुनते ही मंत्री जमीर अहमद खान ने तुरंत अपने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को फोन लगाया और पूछा कि अधिकारी ने विधायक का फोन क्यों नहीं उठाया। जब उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो उन्होंने बिना कोई देरी किए, भरी बैठक में ही सैयद अहमद कादरी को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का आदेश दे दिया।

मंत्री ने बैठक में मौजूद सभी अधिकारियों को एक कड़ा संदेश देते हुए कहा, “यह लापरवाही बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी। आप सभी को यह समझना होगा कि विधायक और सांसद जनता के चुने हुए प्रतिनिधि हैं। अगर आप उनका फोन नहीं उठाते, तो यह सीधे तौर पर जनता का अपमान है। अपनी आदतें सुधार लें, वरना अगली कार्रवाई के लिए तैयार रहें।”

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