img

Up Kiran, Digital Desk: रूस के कमचटका प्रायद्वीप के पास बुधवार को 8.8 तीव्रता का जबरदस्त भूकंप आया, जिसने पूरे प्रशांत क्षेत्र में सनसनी मचा दी। इस तेज़ झटके के बाद कई देशों को सुनामी का खतरा जताते हुए तत्काल चेतावनी जारी की गई। अमेरिका, जापान, फिलीपींस, न्यूजीलैंड, इक्वाडोर, अलास्का और हवाई जैसे क्षेत्रों में लोगों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। भूकंप की वजह से इन देशों के समुद्र तटों पर सुनामी की ऊंची लहरें भी दर्ज की गई हैं, खासकर जापान में तो 16 स्थानों पर करीब 1.3 फीट तक की लहरें देखी गई हैं। हालांकि, अधिकारियों ने बताया है कि बाद में इससे भी बड़ी लहरें आ सकती हैं, इसलिए सतर्कता जरूरी है।

सुनामी: प्रकृति की एक भयानक घटना

सुनामी मूल रूप से समुद्र में उठने वाली भयंकर और विशाल तरंगों का नाम है, जो जब आती हैं तो तटवर्ती इलाकों को भारी तबाही पहुंचाती हैं। जापान के मछुआरों ने इस प्राकृतिक आपदा को ‘सुनामी’ नाम दिया, जिसका मतलब होता है “बंदरगाह की लहरें”। ये लहरें कई सौ किलोमीटर लंबी होती हैं और इनके बीच का अंतराल 10 मिनट से लेकर दो घंटे तक हो सकता है। गहरे समुद्र में ये लहरें बड़ी रफ्तार से फैलती हैं, जिससे तट पर भारी नुकसान हो सकता है।

सुनामी चेतावनी प्रणाली कैसे बचाती है जानें?

जब महासागरों में शक्तिशाली भूकंप आते हैं, तो सुनामी के खतरे को देखते हुए एक अलर्ट सिस्टम सक्रिय हो जाता है। दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में सुनामी निगरानी के लिए विशेष तंत्र काम करते हैं। उदाहरण के लिए, प्रशांत महासागर क्षेत्र की निगरानी अमेरिका के जिम्मे है, जबकि हिंद महासागर के लिए भारत, जापान और इंडोनेशिया प्रमुख निगरानीकर्ता हैं।

यह प्रणाली भूकंप के बाद पानी के स्तर और गति में किसी भी असामान्य बदलाव को तुरंत पकड़ती है। इसके तहत समुद्र के तल में लगाए गए सेंसर और विशेष उपकरण लगातार डेटा भेजते हैं, जिससे संभावित सुनामी का पता लगाया जाता है और समय रहते अलर्ट जारी किया जाता है।

DART तकनीक से मिली नई उम्मीद

बीते कुछ दशकों में सुनामी चेतावनी तकनीक में जबरदस्त सुधार हुआ है। 2000 में शुरू हुई DART (डीप ओशेन ऐसेसमेंट एंड रिपोर्टिंग ऑफ सुनामी) प्रणाली इसके सबसे बड़े उदाहरणों में से एक है। इसमें समुद्र की गहराई पर दबाव मापने वाले सेंसर और सतह पर तैरने वाली डिवाइसें लगी होती हैं, जो पानी की हलचल पर नजर रखती हैं।

इन डिवाइसों से जुटाई गई जानकारियां उपग्रहों के माध्यम से विश्वसनीय एजेंसियों तक पहुंचती हैं, जहां उनका विश्लेषण कर सुनामी की दिशा, गति और संभावित प्रभाव का अनुमान लगाया जाता है। इससे आम जनता और संबंधित प्रशासन को समय रहते चेतावनी दी जा सकती है, जिससे जान-माल के नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सके।

--Advertisement--