
Up Kiran, Digital Desk: प्राचीन काल की बात है, एक गांव में एक अत्यंत गरीब ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ निवास करता था। वह स्त्री अपने पति के प्रति बहुत समर्पित और धार्मिक थी। जब भाद्रपद का महीना आया और कजरी तीज का पर्व करीब था, तो उनके घर में खाने के लिए अनाज तक नहीं था। इस विकट परिस्थिति में भी, उस धर्मपरायण स्त्री ने अखंड सौभाग्य और पति की लंबी आयु की कामना से इस व्रत को करने का दृढ़ संकल्प लिया।
उसने निर्जला व्रत रखा और भगवान शिव तथा माता पार्वती का स्मरण किया। व्रत के दौरान, उसे किसी प्रकार के अन्न की आवश्यकता थी। उसी गांव में एक साहूकार रहता था, जिसके पास सत्तू (भुने चने का आटा) की बहुत सारी पोटलियां थीं। ब्राह्मण की पत्नी ने साहूकार की दुकान से गुप्त रूप से सत्तू की एक पोटली उठा ली।
जैसे ही वह पोटली लेकर घर लौटी, गांव में शोर मच गया कि साहूकार की दुकान से सत्तू चोरी हो गया है। सभी ग्रामीण दुकान पर जमा हो गए और चोर को खोजने लगे। उस ब्राह्मण की पत्नी ने जब यह सुना, तो वह भयभीत हो गई। उसे लगा कि उसका व्रत अधूरा रह जाएगा और वह पकड़ी जाएगी।
निराश होकर उसने उठाई हुई सत्तू की पोटली को वहीं रख दिया और चुपके से मंदिर में जा बैठी। वह रोने लगी और भगवान शिव-पार्वती से क्षमा मांगने लगी। तभी, भगवान शिव की कृपा से, माता पार्वती ने उस स्त्री की भक्ति और समर्पण को देखा। उन्होंने ब्राह्मण की पत्नी की परीक्षा ली और उसकी सच्ची श्रद्धा से प्रसन्न होकर उसे अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद दिया।
जब गांव वाले चोर को ढूंढते हुए मंदिर तक पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि वही स्त्री वहां बैठी है। लेकिन इससे पहले कि वे कुछ कह पाते, माता पार्वती की कृपा से सभी ने उसे सत्तू की पोटली वहीं रख दी। इस प्रकार, स्त्री के सच्चे मन और निष्ठा को देखकर, भगवान शिव और माता पार्वती ने न केवल उसके व्रत को पूर्ण किया, बल्कि उसे अखंड सौभाग्य का वरदान भी दिया।
यह कथा बताती है कि कजरी तीज का व्रत रखने वाली महिलाओं को सच्ची श्रद्धा और निष्ठा से पूजा करनी चाहिए और कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। इससे उन्हें पति की लंबी आयु, सुखी वैवाहिक जीवन और घर में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
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