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Up Kiran, Digital Desk: भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक रक्षाबंधन का त्योहार हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व केवल एक धागे का बंधन नहीं, बल्कि प्रेम, विश्वास, सम्मान और एक-दूसरे की रक्षा के वचन का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र (राखी) बांधकर उनकी लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और सुरक्षा की कामना करती हैं, और बदले में भाई अपनी बहन की हर परिस्थिति में रक्षा का संकल्प लेते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह अनोखा त्योहार क्यों मनाया जाता है? इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं, ऐतिहासिक प्रसंग और गहरी भावनाएं छिपी हैं।

रक्षाबंधन मनाने के मुख्य कारण और महत्व:

रक्षा का वचन और सुरक्षा का भाव: यह पर्व मूल रूप से रक्षा के संकल्प से जुड़ा है। बहन अपने भाई से हर संकट से बचाने और उसका साथ देने का वचन लेती है। यह भाई-बहन के रिश्ते को एक मजबूत धागे से बांधता है, जो उन्हें आजीवन एक-दूसरे से जोड़े रखता है।

पौराणिक कथाएँ: द्रौपदी और भगवान कृष्ण: सबसे प्रसिद्ध कथाओं में से एक महाभारत काल की है, जब शिशुपाल का वध करते समय भगवान कृष्ण की उंगली कट गई थी। उस समय द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया था। भगवान कृष्ण ने इसे अपनी बहन पर चढ़ाया गया ऋण माना और आजीवन उनकी रक्षा का वचन दिया। जब कौरवों द्वारा द्रौपदी का चीरहरण किया जा रहा था, तब भगवान कृष्ण ने ही उनकी लाज बचाई। यह कथा भाई-बहन के बीच सुरक्षा और निस्वार्थ प्रेम के बंधन को दर्शाती है।

राजा बलि और देवी लक्ष्मी: एक अन्य कथा के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग भूमि मांगकर उन्हें पाताल लोक भेज दिया, तो देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु के बिना बैकुंठ में अकेली रह गईं। तब देवी लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधी और उन्हें अपना भाई बनाया। राजा बलि ने उन्हें उपहार स्वरूप भगवान विष्णु को बैकुंठ वापस भेजने का वचन दिया।

यम और यमुना: मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना (यमी) की कहानी भी रक्षाबंधन से जुड़ी है। माना जाता है कि यमुना ने यमराज को राखी बांधी थी, और यमराज ने उन्हें अमरता का वरदान दिया।

ऐतिहासिक महत्व: रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूं: मध्यकालीन भारत में, चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने मुगल सम्राट हुमायूं को राखी भेजकर गुजरात के बहादुर शाह के आक्रमण से अपनी रक्षा करने का निवेदन किया था। हुमायूं ने इस निवेदन को स्वीकार किया और अपनी सेना लेकर रानी की मदद के लिए पहुंचे। यह प्रसंग धर्म और जाति से ऊपर उठकर भाईचारे और सुरक्षा के ऐतिहासिक उदाहरण को दर्शाता है।

सिकंदर और पुरु: एक किंवदंती के अनुसार, जब सिकंदर महान ने भारत पर आक्रमण किया, तो उनकी पत्नी ने राजा पुरु को राखी भेजकर अपने पति को न मारने का अनुरोध किया। राजा पुरु ने इस सम्मान को स्वीकार किया और युद्ध के दौरान सिकंदर को जीवनदान दिया।

सामाजिक और भावनात्मक महत्व: रक्षाबंधन परिवार के सदस्यों को एक साथ लाने का एक अवसर है। यह त्योहार भाई-बहन के बचपन की यादों को ताजा करता है और उनके रिश्ते को मजबूत बनाता है। यह सिर्फ खून के रिश्ते तक सीमित नहीं है, बल्कि जिन लोगों को हम अपना भाई या बहन मानते हैं, उनके साथ भी यह पर्व मनाया जाता है। यह भारतीय संस्कृति में रिश्तों के महत्व को दर्शाता है और आपसी सौहार्द, स्नेह और विश्वास को बढ़ावा देता है।

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