छत्तीसगढ़, झारखंड व राजस्थान प्रदेशों ने अपने कर्मचारियों के लिए नई पेंशन योजना को कैंसिल कर दिया है और पुरानी पेंशन योजना को फिर से अपनाया है। कई राज्यों में कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।
पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश में हुए विधानसभा इलेक्शन में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी। इसी कड़ी में आइए आज जानते हैं कि इन दोनों योजनाओं में क्या अंतर है। बता दें कि पुरानी पेंशन योजना (OPS) सरकार द्वारा स्वीकृत योजना है। पेंशन कर्मचारी के अंतिम वेतन के आधे के बराबर होती है।
नई पेंशन योजना
भारत सरकार ने इस योजना को 2004 में लागू किया था।
> इस स्कीम में कर्मचारी रिटायरमेंट के वक्त के एनपीएस फंड का 60 फीसदी हिस्सा निकाल सकता है.
> पेंशन के लिए 40 फीसदी निवेश करना होगा।
> पुरानी पेंशन योजना को स्वीकार करने का विकल्प केवल असाधारण परिस्थितियों में केंद्रीय कर्मचारियों के लिए उपलब्ध है।
पुरानी पेंशन योजना
> कोई कर राहत नहीं। पुरानी स्कीम के तहत पेंशन पर कोई टैक्स नहीं है।
> पुरानी स्कीम में निवेश के कोई विकल्प नहीं हैं। पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी को पिछले वेतन के आधे के बराबर पेंशन मिलती है।
> पुरानी पेंशन योजना में पेंशन की राशि अंतिम वेतन का 50 फीसदी होती है.
लाभार्थी कौन है?
पुरानी योजना का लाभ सरकारी कर्मचारियों को ही मिलता है। 18 से 65 वर्ष की आयु के बीच का कोई भी भारतीय नागरिक नई पेंशन योजना का लाभ ले सकता है।
नई पेंशन योजना
> इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत 1.50 लाख रुपये तक और सेक्शन 80CCD (1B) के तहत 50 हजार रुपये तक टैक्स डिडक्शन।
> नई स्कीम में एनपीएस में 60 फीसदी फंड टैक्स फ्री है. लेकिन फंड का 40 फीसदी टैक्सेबल होता है।
> एनपीएस में निवेश के हिसाब से कर्मचारी को पेंशन मिलती है। नई पेंशन योजना में पेंशन एनपीएस में निवेश के 40 फीसदी पर आधारित है।
योजना में क्या बदलाव हुआ
ओल्ड पेंशन योजना (OPS) के स्थान पर नई पेंशन योजना को स्वीकार किया जा सकता है। एक बार नई पेंशन योजना को स्वीकार कर लेने के बाद, कोई पुरानी पेंशन योजना में वापस नहीं जा सकता है। केवल एक केंद्रीय कर्मचारी ही मृत्यु और विकलांगता के मामले में पुरानी पेंशन योजना को फिर से स्वीकार कर सकता है। ऐसे मामलों में कर्मचारी की मृत्यु से पहले स्वीकृत अंतिम विकल्प पर विचार किया जाता है। परिवार के सदस्य इसे बदल नहीं सकते।
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