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Up Kiran, Digital Desk: अंतरराष्ट्रीय कूटनीति शतरंज के खेल की तरह होती है, जहां हर चाल और हर मुलाकात के गहरे मायने होते हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही महत्वपूर्ण मुलाकात के बारे में बता रहे हैं जो भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके अमेरिकी समकक्ष, सीनेटर मार्को रूबियो के बीच हुई थी। इस मुलाकात की सबसे खास बात इसकी टाइमिंग थी, क्योंकि यह ठीक उस समय हुई जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर टैरिफ लगाने का बड़ा फैसला लिया था।

क्या था पूरा माहौल: उस दौरान अमेरिका और भारत के व्यापारिक रिश्तों में भारी तनाव था। राष्ट्रपति ट्रंप ने "अमेरिका फर्स्ट" की अपनी नीति के तहत भारतीय उत्पादों पर भारी टैरिफ (आयात शुल्क) लगाने का ऐलान कर दिया था। इस एकतरफा फैसले से भारत नाराज था और दोनों देशों के बीच एक छोटे-मोटे ट्रेड वॉर जैसे हालात बन गए थे।

इसी तनाव भरे माहौल के बीच, जब विदेश मंत्री जयशंकर और सीनेटर रूबियो की मुलाकात हुई, तो पूरी दुनिया की नजरें इस पर टिकी थीं। यह ट्रंप के टैरिफ लगाने के फैसले के बाद दोनों देशों के बीच पहली उच्च-स्तरीय वार्ता थी।

मुलाकात में क्या हुआ होगा: हालांकि मुलाकातों के बाद अक्सर सधी हुई भाषा में बयान जारी किए जाते हैं, लेकिन पर्दे के पीछे यह एक बेहद अहम बैठक थी। इस मुलाकात को तनाव कम करने और भारत के पक्ष को मजबूती से रखने का एक मौका माना जा रहा था। जयशंकर, जो अपनी स्पष्ट और दृढ़ कूटनीति के लिए जाने जाते हैं, ने निश्चित रूप से भारत की चिंताओं को अमेरिकी पक्ष के सामने रखा होगा।

यह बैठक सिर्फ एक चाय पर चर्चा नहीं थी, बल्कि यह डैमेज कंट्रोल और भविष्य के रिश्तों की नींव बचाने की एक गंभीर कोशिश थी। इसने दिखाया कि तनाव के बावजूद, दोनों देश बातचीत का दरवाजा बंद नहीं करना चाहते थे और किसी समाधान की तलाश में थे।