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Farmer Protest: शंभू और खनौरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन 2.0 का आज एक साल पूरा हो गया है। एक साल से चल रहे इस आंदोलन में किसान अपनी मांगों को मनवाने के लिए पांच बार दिल्ली की ओर कूच करने की कोशिश कर चुके हैं, मगर हर बार हरियाणा पुलिस प्रशासन के सामने उन्हें असफलता ही हाथ लगी है। इस दौरान किसानों की मांगों को लेकर केंद्र के साथ 8, 12, 15 और 18 जनवरी 2024 को चार दौर की वार्ता हुई, मगर ये भी बेनतीजा रहीं।

दिल्ली की ओर मार्च को दौरान हुई किसान की मौत

संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक और किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा के बैनर तले दिल्ली की ओर कूच करने के लिए पंजाब के विभिन्न हिस्सों से किसान 13 फरवरी 2024 को शंभू और खनौरी बॉर्डर पर एकत्र हुए थे, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी, किसानों और मजदूरों को कर्ज मुक्ति समेत करीब 12 मांगें शामिल थीं, मगर हरियाणा पुलिस प्रशासन द्वारा बैरिकेडिंग कर किसानों को बॉर्डर पर ही रोक दिया गया।

इस दौरान किसानों ने आगे बढ़ने के लिए संघर्ष भी किया, मगर असफल रहे। इसके बाद 21 फरवरी 2024 को किसान फिर से बॉर्डर छोड़कर दिल्ली की ओर कूच करने निकल पड़े। इस बार भी किसानों को आगे बढ़ने से रोक दिया गया, मगर दोनों पक्षों में काफी संघर्ष हुआ। इस दौरान एक युवक शुभकरण सिंह की मौत हो गई और बड़ी संख्या में किसान घायल भी हुए।

दल्लेवाल की भूख हड़ताल ने उन्हें ताकत दी

इसके बाद भी किसान सीमाओं पर डटे रहे और समय-समय पर केंद्र के खिलाफ विरोध कार्यक्रम आयोजित करते रहे, मगर बाद में ऐसा लगा कि यह आंदोलन 2.0 अपनी गति खो चुका है। इसे देखते हुए आंदोलन में नई जान फूंकने के लिए किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने 26 नवंबर को आमरण अनशन पर बैठने का ऐलान किया है। दल्लेवाल को रोकने के लिए पुलिस ने एक दिन पहले खनौरी बॉर्डर से उन्हें जबरन उठाकर लुधियाना डीएमसी में बंद कर दिया था। किसानों के प्रतिरोध के आगे झुकते हुए पुलिस प्रशासन को डल्लेवाल को वापस खनौरी बॉर्डर पर भेजना पड़ा।

101 किसानों के एक दल ने दिल्ली कूच की घोषणा की

इस बीच, 101 किसानों के एक समूह ने 6 दिसंबर को शंभू सीमा से दिल्ली की ओर मार्च करने की घोषणा की। यह समूह आगे बढ़ने में असफल रहा। इसके बाद 8 दिसंबर को एक नया जत्था फिर दिल्ली के लिए रवाना हुआ। यह समूह भी असफल रहा। फिर 14 दिसंबर को भी किसान आगे नहीं बढ़ पाए, बल्कि हर बार हरियाणा पुलिस के साथ झड़प में बड़ी संख्या में किसान घायल होते रहे।

SC ने भी लिया संज्ञान

सुप्रीम कोर्ट ने खनौरी बॉर्डर पर भूख हड़ताल के कारण कैंसर से पीड़ित किसान नेता दल्लेवाल की बिगड़ती सेहत पर संज्ञान लिया। सर्वोच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार को दल्लेवाल को चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने का आदेश दिया, मगर दल्लेवाल अपनी मांगें पूरी होने के बाद ही अनशन समाप्त करने पर अड़े रहे, जिससे केंद्र को झुकना पड़ा। 18 जनवरी को केंद्रीय अधिकारियों ने खनौरी बॉर्डर पर पहुंचकर किसान नेताओं को 14 फरवरी की मीटिंग का पत्र सौंपा था। अब किसानों की उम्मीदें इसी बैठक पर टिकी हैं।

ये हैं किसानों की मुख्य मांगें.

एमएसपी की कानूनी गारंटी
किसानों और मजदूरों के लिए ऋण राहत
मनरेगा के तहत वर्ष में 200 दिन रोजगार उपलब्ध कराया जाए तथा दैनिक मजदूरी 700 रुपये की जाए।
किसानों और मजदूरों के लिए पेंशन योजना
फसलों के दाम स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार तय किए जाने चाहिए।
आदिवासियों के लिए संविधान की पांचवीं अनुसूची लागू की जानी चाहिए।