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Up Kiran, Digital Desk: राउज एवेन्यू कोर्ट ने सोमवार को लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के खिलाफ चल रहे नौकरी के बदले ज़मीन घोटाले के मामले में आरोप तय करने का फैसला 4 दिसंबर तक टाल दिया है। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आदेश स्थगित कर दिया। इस फैसले को लेकर जनता की नजरें अब 4 दिसंबर पर टिक गई हैं, जब मामले में अगली सुनवाई होगी।

पहले से टला था फैसला
11 सितंबर को जब अदालत ने आरोप तय करने के बारे में अपना फैसला सुरक्षित रखा था, तब से ही इस मामले में हाई-प्रोफाइल बहस चल रही थी। यह मामला 2004 से 2009 तक लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहते हुए भारतीय रेलवे में कथित अनियमितताओं से जुड़ा हुआ है। सीबीआई ने इस मामले में आरोपपत्र दाखिल किया था, जिसमें लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, उनके दोनों बेटे तेजस्वी और तेज प्रताप यादव सहित कई अन्य पर आरोप लगाए गए थे।

सीबीआई का आरोप
सीबीआई के अनुसार, लालू यादव के रेल मंत्री बनने के बाद कई उम्मीदवारों को रेलवे में ग्रुप डी की नौकरी देने के बदले ज़मीन दी गई। सीबीआई की ओर से विशेष लोक अभियोजक डीपी सिंह ने यह तर्क दिया कि आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सामग्री मौजूद है।

लालू के वकील ने क्या कहा?
लालू यादव के वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कोर्ट में अपनी दलीलें पेश करते हुए कहा कि यह मामला राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने यह भी कहा कि इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं है कि नौकरी के बदले जमीन दी गई थी। मनिंदर सिंह ने यह भी कहा कि ज़मीन खरीदने के सभी दस्तावेज़ सही हैं और कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ।

राबड़ी देवी की सफाई
राबड़ी देवी की ओर से भी यह दावा किया गया कि ज़मीन खरीदी गई थी और उसके लिए पैसे दिए गए थे। उनका कहना था कि किसी उम्मीदवार को कोई विशेष फायदा नहीं पहुँचाया गया था। राबड़ी देवी के बचाव पक्ष ने यह तर्क दिया कि सीबीआई को भ्रष्टाचार साबित करना होगा, और ज़मीन खरीदने का लेन-देन पूरी तरह वैध था।

क्या है नौकरी के बदले ज़मीन घोटाला?
यह मामला 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्रालय में हुए कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा है, जब लालू यादव यूपीए-1 सरकार में रेल मंत्री थे। सीबीआई की प्राथमिकी के अनुसार, यह आरोप लगाया गया कि नौकरी के बदले रिश्वत के रूप में ज़मीन बेची गई थी।