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Up Kiran, Digital Desk: बिहार की राजनीति में अगर किसी परिवार का नाम सबसे पहले जेहन में आता है, तो वो है लालू प्रसाद यादव का परिवार  एक ऐसा राजनैतिक कुनबा, जिसने दशकों तक सत्ता की धुरी को घुमाया। लेकिन बीते कुछ समय से यह राजनीतिक परिवार अपने आपसी रिश्तों को लेकर बार-बार चर्चा में आ रहा है। इस बार मौका था रक्षाबंधन का, और यही पर्व एक बार फिर लालू परिवार की अंदरूनी दरारों को सतह पर ले आया।

तेज प्रताप यादव, जो खुद को “धरतीपुत्र” और आध्यात्मिक नेता के रूप में पेश करते रहे हैं, ने सोशल मीडिया पर कुछ ऐसी बातें साझा कीं, जिसने न सिर्फ पारिवारिक रिश्तों पर सवाल खड़े किए, बल्कि सियासी गलियारों में भी चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया।

सिर्फ चार बहनों ने भेजी राखी, बाकी पर सन्नाटा

तेज प्रताप ने रक्षाबंधन के मौके पर सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए जानकारी दी कि उन्हें राखी भेजने वालों में सिर्फ चार बहनों — हेमा, रागिनी, चंदा और अनुष्का — के नाम शामिल हैं। उन्होंने न सिर्फ इनके नाम सार्वजनिक किए, बल्कि उनके प्रति आभार भी व्यक्त किया। इसके अलावा उन्होंने अपनी मौसेरी बहन डॉ. पिंकी कुमारी का भी जिक्र किया, जिन्होंने उन्हें व्यक्तिगत रूप से राखी बांधी।

लेकिन इस बीच तीन नाम ऐसे रहे जिनकी अनुपस्थिति ने लोगों का ध्यान खींचा — मीसा भारती, रोहिणी आचार्य और राज लक्ष्मी यादव। तेज प्रताप की सात बहनें हैं, लेकिन इन तीनों के न होने का ज़िक्र, ना तो शब्दों में हुआ और ना ही तस्वीरों में। सवाल उठना लाज़मी था — क्या ये चुप्पी सिर्फ संयोग थी या फिर संकेत?

परिवार में पहले से तनाव की स्थिति

तेज प्रताप और उनके पिता लालू यादव के बीच तल्खियां कोई नई बात नहीं हैं। पिछले कुछ महीनों में तेज प्रताप की सार्वजनिक छवि को लेकर भी विवाद हुए हैं, जिसमें एक युवती के साथ वायरल हुई तस्वीर को लेकर काफी हंगामा मचा। इसके बाद खबरें आईं कि लालू यादव ने उन्हें न सिर्फ घर से बाहर किया, बल्कि पार्टी से भी किनारा कर लिया।

तेज प्रताप ने भी इस दूरी को स्वीकार करते हुए 'टीम तेज प्रताप' नाम से अलग राजनीतिक मंच खड़ा कर दिया है, जिससे यह साफ हो गया कि पारिवारिक रिश्तों की गांठ अब केवल घरेलू दायरे में नहीं, बल्कि राजनीतिक मंच पर भी उतर चुकी है।

क्या बहनों की चुप्पी है सियासी संकेत?

मीसा भारती, जो राज्यसभा सांसद हैं, और रोहिणी आचार्य, जिन्होंने अपने बयानों से कई बार भाई तेजस्वी यादव का खुला समर्थन किया है, इस मौके पर चुप रहीं। सोशल मीडिया के दौर में जब हर नेता छोटे-से-छोटे त्योहार पर पोस्ट साझा करता है, ऐसे में इन बहनों की चुप्पी को महज पारिवारिक दूरी नहीं माना जा सकता।

 

 

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