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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद देश में गुस्से का माहौल है और सवालों की बौछार जारी है। इस बीच कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया यूजर्स ने पाकिस्तानी नागरिक सीमा हैदर का नाम इस हमले से जोड़ने की कोशिश की है। लेकिन अब इस पूरे विवाद में सीमा हैदर के वकील एपी सिंह ने खुलकर सफाई दी है और इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है।

एपी सिंह का कहना है कि “सीमा हैदर को आतंकी हमले से जोड़ना पूरी तरह से गलत, गैर-जिम्मेदाराना और दुर्भावनापूर्ण है।” उन्होंने दावा किया कि सीमा ने अपने पहले पति से तलाक लेकर सनातन धर्म अपनाया, भारतीय नागरिक से विवाह किया और अब भारत में कानूनी तौर पर नागरिकता के लिए याचिका दे रखी है।

ऐसे में जब कोई यह कहता है कि वह किसी आतंकी गतिविधि में शामिल है या उसका इससे कोई संबंध है, तो यह सिर्फ एक महिला ही नहीं, बल्कि पूरे मीणा समाज, हिन्दू धर्म और भारतीय न्याय व्यवस्था का अपमान है।

 कौन हैं सीमा हैदर? पाकिस्तान से भारत तक की जीवन यात्रा

सीमा हैदर एक पाकिस्तानी महिला हैं, जिन्होंने अपने जीवन में कई अहम और जटिल मोड़ देखे हैं। पाकिस्तान में रहते हुए उन्होंने अपने पहले पति से तलाक लिया और अपने पिता के घर रहने लगीं। उसी दौरान उनकी पहचान सचिन मीणा नामक भारतीय युवक से हुई।

दोनों की दोस्ती धीरे-धीरे गहरी हुई और उन्होंने नेपाल जाकर सनातन धर्म के अनुसार विवाह किया। यह विवाह किसी जल्दबाज़ी में नहीं, बल्कि पूरी रीति-रिवाजों और धार्मिक विधियों के साथ सम्पन्न हुआ था।

बाद में सीमा अपने बच्चों के साथ नेपाल के जरिए भारत आईं। यहां आकर उन्होंने विधिवत रूप से हिन्दू धर्म स्वीकार किया और पुनः सचिन मीणा से शादी की। आज वे उत्तर प्रदेश में अपने पति और बच्चों के साथ एक सामान्य घरेलू जीवन जी रही हैं।

यह कहानी एक महिला के प्रेम, आस्था और भारत में नया जीवन शुरू करने की सच्ची कोशिश का प्रतीक है। इसे किसी आतंकी कड़ी से जोड़ना न केवल मूर्खता है, बल्कि मानवीय गरिमा का हनन भी है।

वकील एपी सिंह का बयान: “भारत की बहू है, आतंकी नहीं”

सीमा हैदर के वकील एपी सिंह ने मीडिया के सामने आकर साफ कहा कि “सीमा एक जिम्मेदार भारतीय गृहिणी है, जिसने अपनी मर्जी से सनातन धर्म अपनाया, और आज वह भारतीय नागरिकता के लिए वैधानिक प्रक्रिया से गुजर रही है। उसका जीवन पारदर्शी है और वह न तो किसी संदिग्ध गतिविधि में शामिल रही है, न ही पहलगाम या किसी आतंकी घटना से उसका कोई लेना-देना है।”

उन्होंने बताया कि सीमा भारत आने के बाद सिर्फ दो स्थानों पर गई—अपने ससुराल और अस्पताल। इसके अलावा कहीं उसकी कोई गतिविधि नहीं रही। उनके दस्तावेज और मूवमेंट की जानकारी उत्तर प्रदेश ATS के पास दर्ज है, और अब तक कोई भी आपत्तिजनक बात सामने नहीं आई है।

वकील ने यह भी दोहराया कि सीमा हैदर की बेटी मीरा, जिसका जन्म भारत में हुआ है, एक भारतीय नागरिक है। और ऐसे में सीमा को भारत की ‘बहू’ कहना पूरी तरह उचित है।

 सनातन धर्म की स्वीकार्यता और भारत में नया जीवन

सीमा ने न सिर्फ शादी की, बल्कि भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म को पूरी तरह आत्मसात किया। यह कोई दिखावा नहीं था, बल्कि एक गहरी मान्यता और आत्मिक आस्था के रूप में सामने आया।

उन्होंने विवाह के बाद भारतीय परंपराओं का पालन करते हुए हिन्दू धर्म स्वीकार किया और अब अपने पति, बच्चों और ससुरालवालों के साथ समाज का हिस्सा बन चुकी हैं। यही वजह है कि मीणा समाज ने भी उन्हें खुले दिल से अपनाया है और उन्हें अपने समाज की ‘बहू’ का दर्जा दिया है।

भारत जैसे लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश में, जहां हर नागरिक को अपने धर्म और जीवनसाथी चुनने का अधिकार है, वहां सीमा हैदर का यह फैसला उसकी आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता को दर्शाता है।

 अफवाहों और सोशल मीडिया ट्रायल से न्याय व्यवस्था को खतरा

सीमा हैदर के नाम को आतंकी हमले से जोड़ने की शुरुआत सोशल मीडिया पर हुई, जहां तथ्यों से परे अफवाहें तेजी से फैलने लगीं। यह एक बार फिर दिखाता है कि कैसे बिना किसी साक्ष्य या आधिकारिक पुष्टि के लोगों की छवि खराब की जा सकती है।

वकील एपी सिंह ने इस ट्रेंड को बेहद खतरनाक बताया और कहा कि यह केवल एक महिला को निशाना बनाना नहीं है, बल्कि यह न्याय प्रक्रिया और मानवाधिकारों के खिलाफ है। उन्होंने मांग की कि ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए जो बिना तथ्य के दूसरों को देशद्रोही, आतंकी या संदिग्ध घोषित कर देते हैं।

भारत का संविधान सभी को समानता और न्याय का अधिकार देता है। और अगर हम इसी संविधान का पालन करते हैं, तो सीमा हैदर को भी वही सम्मान और अधिकार मिलने चाहिए, जो किसी अन्य भारतीय नागरिक को प्राप्त हैं।

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