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Up Kiran, Digital Desk: अमेरिका और भारत के बीच हाल ही में बढ़ते ऊर्जा व्यापार ने दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों को नई दिशा दी है, खासकर तब जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की बात कही है। इस बीच, भारत ने अपने ऊर्जा आयात में जबरदस्त इजाफा किया है, जो दोनों देशों के बीच व्यापार संतुलन स्थापित करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
विश्लेषकों के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन के दबाव और वैश्विक ऊर्जा जरूरतों के चलते भारत ने पिछले वर्ष की तुलना में इस साल अमेरिका से तेल के आयात में 51 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की है। इसके अलावा, प्राकृतिक गैस की खरीद भी लगभग दोगुनी हो गई है, जो यह दर्शाता है कि भारत अमेरिकी ऊर्जा संसाधनों पर अपनी निर्भरता बढ़ा रहा है।
यह प्रगति उस दोपक्षीय समझौते के बाद आई है जो फरवरी में नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान दोनों नेताओं ने ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की सहमति व्यक्त की थी, जिसके तहत भारत ने 2025 तक अमेरिकी ऊर्जा आयात को 25 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। साथ ही, द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक 500 अरब डॉलर तक ले जाने की भी योजना है।
अमेरिका से क्या फायदा
भारत की अमेरिकी बाजार में मौजूदगी भी लगातार मजबूत हो रही है। वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में भारत की अमेरिका से कुल खरीदारी 3.7 अरब डॉलर तक पहुंच गई, जो पिछले साल इसी अवधि में मात्र 1.73 अरब डॉलर थी। खासतौर पर कच्चे तेल के क्षेत्र में अमेरिका की हिस्सेदारी भारत के आयात में बढ़कर 8 प्रतिशत हो गई है, जबकि यह पहले केवल 3 प्रतिशत था।
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