facts about Mahatma Gandhi: शहीद दिवस को सर्वोदय दिवस के रूप में भी जाना जाता है। देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वालों के बलिदान को सम्मान देने के लिए 30 जनवरी को पूरे भारत में मनाया जाता है। ये दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह महात्मा गांधी की हत्या का प्रतीक है। 1948 में बापू की हत्या बिरला हाउस में गांधी स्मृति में शाम की प्रार्थना के दौरान नाथूराम गोडसे ने कर दी थी।
आजादी की लड़ाई में एक प्रमुख नेता गांधी ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए अहिंसा और शांतिपूर्ण तरीकों की वकालत की। उनकी विरासत को हर साल उनकी पुण्यतिथि पर याद किया जाता है, जिसे पूरे देश में लोग 'महात्मा गांधी पुण्यतिथि' के रूप में मनाते हैं। तो आईये महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर आइए राष्ट्रपिता के बारे में कुछ कम ज्ञात तथ्यों को जानें।
महात्मा गांधी के बारे में 5 कम ज्ञात तथ्य
महात्मा गांधी अपने शक्तिशाली भाषणों से लाखों लोगों को प्रेरित करने के लिए जाने जाते हैं। एक समय बहुत शर्मीले और डरपोक बच्चे थे। एक छात्र के रूप में वो अक्सर शर्मीलेपन से जूझते थे और लोगों का सामना करने से बचने के लिए स्कूल से भाग भी जाते थे। उन्हें सार्वजनिक रूप से बोलने का इतना डर था कि वह अक्सर घबरा जाते थे और दर्शकों के सामने बोलने में असमर्थ हो जाते थे। वक्त के साथ गांधी ने अपनी चिंता पर काबू पाने के लिए कड़ी मेहनत की।
गांधीजी हर सोमवार को अपने व्यक्तिगत अनुशासन और आध्यात्मिक अभ्यास के हिस्से के रूप में मौन रहते थे। उनका मानना था कि मौन रहने से उन्हें खुद से जुड़ने, अपने कार्यों पर विचार करने और मानसिक रूप से तरोताजा होने में मदद मिलती है।
1937 से 1948 के बीच पांच बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित होने के बावजूद महात्मा गांधी को ये प्रतिष्ठित पुरस्कार कभी नहीं मिला। उन्हें 1937, 1938, 1939, 1947 और अंत में जनवरी 1948 में उनकी हत्या से कुछ दिन पहले नामांकित किया गया था।
रवींद्रनाथ टैगोर ने गांधीजी को 'महात्मा' की उपाधि दी, जिसका अर्थ है 'महान आत्मा', जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रति गांधीजी की अटूट प्रतिबद्धता तथा अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों के प्रति उनके गहन समर्पण के प्रति उनकी तारीफ के कारण था।
गांधी ने अछूतों के लिए 'हरिजन' शब्द गढ़ा, जिसका अर्थ है 'ईश्वर की संतान', जिसका उद्देश्य उनकी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाना और उनकी गरिमा को बढ़ावा देना था। गांधी का मानना था कि हर व्यक्ति, चाहे उसकी जाति या पृष्ठभूमि कुछ भी हो उसके साथ सम्मान और समानता का व्यवहार किया जाना चाहिए।