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Up Kiran, Digital Desk: फेसबुक की पेरेंट कंपनी मेटा के CEO मार्क जुकरबर्ग ने एक ऐसा ऐलान किया है, जिसे सुनकर पूरी टेक्नोलॉजी की दुनिया में भूचाल आ गया है। उन्होंने साफ कर दिया है कि वो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के भविष्य पर अब तक का सबसे बड़ा दांव लगाने जा रहे हैं, जिसकी कीमत 600 अरब डॉलर तक हो सकती है।

जुकरबर्ग इस बार कोई भी गलती करने के मूड में नहीं हैं। उन्होंने अपनी नई रणनीति का खुलासा करते हुए कहा, "बाद में पछताने से बेहतर है कि अभी ज़रूरत से ज़्यादा बना लिया जाए।" यह सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और एप्पल जैसी दिग्गज कंपनियों के लिए एक सीधी चेतावनी है।

क्या है जुकरबर्ग का 'मेगा प्लान'?

मेटा का यह प्लान इतना विशाल है कि इसका अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है। कंपनी साल 2025 के अंत तक अपने डेटा सेंटरों को 6 लाख Nvidia H100 GPUs के बराबर की कंप्यूटिंग पावर से लैस करने की योजना बना रही है। आपको बता दें कि ये H100 GPUs वो सुपर-चिप्स हैं जिन पर आज पूरी AI इंडस्ट्री चल रही है और इनकी डिमांड सोने से भी ज़्यादा है।

यह खरबों रुपये का निवेश सिर्फ AI मॉडल्स बनाने के लिए नहीं है, बल्कि इसका अंतिम लक्ष्य है AGI (Artificial General Intelligence) को विकसित करना - यानी एक ऐसा AI जो इंसानों की तरह या उससे भी ज़्यादा स्मार्ट हो।

क्यों है ज़ुकरबर्ग को 'पछतावे' का डर?

जुकरबर्ग का यह डर बेवजह नहीं है। उन्होंने अपनी आंखों से एक पूरी तकनीकी क्रांति को अपने हाथ से निकलते हुए देखा है।

उन्हें आज भी यह बात कचोटती है कि जब एप्पल ने आईफोन और गूगल ने एंड्रॉइड के साथ स्मार्टफोन का इकोसिस्टम बनाया, तब फेसबुक सिर्फ एक ऐप बनकर रह गया। उसे इन कंपनियों के बनाए प्लेटफॉर्म पर उनके नियमों के हिसाब से चलना पड़ा।

इस बार जुकरबर्ग वह गलती दोहराना नहीं चाहते। उनका मानना है कि AI अगला बड़ा कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म होगा, और वह चाहते हैं कि इस बार ड्राइवर की सीट पर मेटा बैठा हो, न कि कोई और। वह AI की दुनिया का 'एंड्रॉइड' बनाना चाहते हैं - एक ऐसा ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म जिसका इस्तेमाल पूरी दुनिया कर सके।

मेटावर्स से बड़ा दांव है AI: यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि मेटा पहले ही मेटावर्स (Metaverse) पर अरबों डॉलर खर्च कर चुकी है, जिसके नतीजे अभी तक उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे हैं। अब AI पर यह उससे भी बड़ा दांव दिखाता है कि जुकरबर्ग भविष्य की लड़ाई के लिए अपना सब कुछ झोंकने को तैयार हैं।

अगर जुकरबर्ग का यह महा-दांव सफल होता है, तो मेटा न सिर्फ टेक्नोलॉजी की दुनिया का बादशाह बन जाएगा, बल्कि वह इंसानी भविष्य को दिशा देने वाली सबसे बड़ी ताकत भी बन सकता है। और अगर यह दांव फेल हुआ, तो यह इतिहास की सबसे बड़ी व्यावसायिक गलतियों में से एक गिनी जाएगी।