
Up Kiran, Digital Desk: यह खबर सुनकर भारत की अर्थव्यवस्था में पैसा लगाने वाले और रोज़गार ढूंढने वाले दोनों ही खुश हो जाएंगे! देश में कॉर्पोरेट और बाज़ार जगत से एक बहुत ही सकारात्मक ख़बर सामने आई है। साल 2025 की तीसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर) के दौरान, भारत ने कुल 688 डील्स (Deals) पर $39.9 अरब (लगभग 3.31 लाख करोड़ रुपये) का बड़ा निवेश दर्ज किया है।
ये आँकड़े केवल बड़े नहीं हैं, बल्कि यह इस बात का सबूत हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था की गाड़ी अब बहुत तेज़ी से भाग रही है। रिपोर्ट बताती है कि यह 'डील वॉल्यूम' (कुल सौदों की संख्या) 2022 की पहली तिमाही के बाद से सबसे ऊँचे स्तर पर पहुँच गया है। साफ शब्दों में, निवेशकों ने भारत पर इतना बड़ा भरोसा इतने समय बाद जताया है।
जबरदस्त उछाल: 30% ज्यादा आया पैसा!
पिछली साल की इसी अवधि की तुलना में इस साल कुल डील के मूल्य में पूरे 30% की बढ़ोतरी हुई है, जबकि सौदों की संख्या में भी 8% का इजाफा दर्ज किया गया है। लेकिन ये उछाल आया कहाँ से? इसके पीछे दो बड़े फैक्टर हैं:
विलय और अधिग्रहण (M&A): यानी, जब कोई कंपनी दूसरी को खरीद लेती है या दो मिल जाती हैं।
रिकॉर्ड पूंजी बाजार इश्यू (Capital Market Issuances): जब कंपनियां पब्लिक मार्केट से पैसा जुटाती हैं।
प्राइवेट इक्विटी (PE) और M&A दोनों को मिलाकर इस तिमाही में 629 सौदे हुए, जिनकी कीमत $28.7 अरब रही। कमाल की बात ये है कि पिछले तीन महीनों की तुलना में इस डील की वैल्यू सीधे दुगुनी हो गई है।
कंपनी बनाने लगी नया रिकॉर्ड, खूब आया IPO
तीसरी तिमाही में सबसे ख़ास बात रही 'पब्लिक मार्केट एक्टिविटी' की, यानी उन कंपनियों की, जिन्होंने खुद को स्टॉक मार्केट में लिस्ट किया।
इस तिमाही में रिकॉर्ड 34 IPO (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) आए और 25 QIP (क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट) आए।
इन दोनों से ही कंपनियों ने $5.6 अरब जुटाए, जो IPO के इतिहास में तिमाही आधार पर सबसे बड़ी उपलब्धि है।
कंपनी ऐसा क्यों करती है? वह ऐसा इसलिए करती है ताकि अपनी बिज़नेस ग्रोथ के लिए नया पैसा जुटा सके या पुराने कर्ज को चुका सके। उदाहरण के लिए HDB फाइनेंशियल सर्विसेज़ के $1.5 अरब का आईपीओ और NSDL की लिस्टिंग भी इसका हिस्सा रही।
असली पैसा तो M&A में लगा: अगर सिर्फ विलय और अधिग्रहण (M&A) के सौदों को देखें, तो 263 सौदों का मूल्य $22 अरब रहा। पिछली तिमाही के मुकाबले इसमें वैल्यू में 311% की ज़बरदस्त तेज़ी आई है। इस बढ़ोतरी को लाने में जिन छह बिलियन डॉलर डील्स (Billion Dollar Deals) का हाथ था, अकेले उनकी वैल्यू $15.3 अरब रही, यानी कुल M&Aवैल्यू का 70% इन 6 सौदों में आया। यह साफ़ दिखाता है कि बड़ा निवेश करने वाले कॉर्पोरेट खिलाड़ी अब भारत पर बहुत बड़ा दाँव लगा रहे हैं। साथ ही, घरेलू स्तर पर भी 191 डील का होना भी देश की अर्थव्यवस्था पर मजबूत भरोसे को दर्शाता है।