
Up Kiran, Digital Desk: भारतीय सेना के इतिहास में एक और सुनहरा अध्याय जुड़ गया है। rigorous ट्रेनिंग और फौलादी इरादों की परीक्षा पास कर अग्निवीरों का छठा बैच अब दुनिया की सबसे खतरनाक रेजिमेंट्स में से एक, पैराशूट रेजिमेंट का हिस्सा बन गया है। बेंगलुरु के पैराशूट रेजिमेंट ट्रेनिंग सेंटर (PRTC) में आयोजित एक शानदार पासिंग आउट परेड में इन युवा योद्धाओं ने देश की रक्षा की शपथ ली।
यह परेड सिर्फ एक औपचारिक समारोह नहीं, बल्कि उन जवानों के अथक परिश्रम और समर्पण का प्रतीक था, जिन्होंने पिछले कुछ महीनों में आग में तपकर सोना बनने जैसी ट्रेनिंग पूरी की है। परेड की सलामी ब्रिगेडियर आर विनयन ने ली। उन्होंने युवा पैराट्रूपर्स को संबोधित करते हुए कहा कि वे अब भारतीय सेना की सबसे बहादुर यूनिट का हिस्सा हैं और उन्हें रेजिमेंट के गौरवशाली इतिहास और परंपरा को हमेशा बनाए रखना है।
आसमान के योद्धा, धरती के रक्षक
शपथ लेने के बाद इन युवा सैनिकों को उनकी सबसे बड़ी पहचान, 'मरून बेरेट' (Maroon Beret) और प्रतिष्ठित 'विंग्स' से सम्मानित किया गया। यह सिर्फ एक टोपी और एक बैज नहीं, बल्कि उनकी बहादुरी, क्षमता और उस भरोसे का प्रतीक है जो देश उन पर करता है। इस पल को देखने के लिए इन अग्निवीरों के माता-पिता और परिवार वाले भी मौजूद थे, जिनकी आंखों में गर्व और खुशी के आंसू थे।
ट्रेनिंग के दौरान असाधारण प्रदर्शन करने वाले अग्निवीरों को médailles देकर भी सम्मानित किया गया:
बेस्ट इन ड्रिल: अग्निवीर पवन कुमार को प्रतिष्ठित 'गिल मेमोरियल शील्ड' से सम्मानित किया गया।
बेस्ट शॉट: अग्निवीर कमलेश मौर्य को 'चीता ट्रॉफी' दी गई।
ऑल-राउंड बेस्ट ट्रेनी: यह खिताब अग्निवीर (ओपी) दीपक सिंह ने जीता।
यह युवा अग्निवीर अब पैराशूट रेजिमेंट की विभिन्न इकाइयों में शामिल होकर देश की सीमाओं और आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालेंगे। वे अब जमीन पर ही नहीं, बल्कि आसमान से भी दुश्मनों पर कहर बनकर टूटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।