Up Kiran, Digital Desk: पीरियड्स या माहवारी, दुनिया की लगभग आधी आबादी के लिए हर महीने होने वाली एक सामान्य जैविक प्रक्रिया है। फिर भी, करोड़ों महिलाएं हर महीने होने वाले शारीरिक, हॉर्मोनल और भावनात्मक चुनौतियों को चुपचाप सहती हैं। आज भी हमारे समाज में पीरियड्स एक ऐसा विषय है, जिस पर खुलकर बात करने में शर्म महसूस की जाती है। इसी वजह से कई महिलाओं को अपनी तकलीफ को छिपाकर घर और ऑफिस की जिम्मेदारियां निभानी पड़ती हैं।
इसी तकलीफ को समझते हुए, दुनिया भर में 'मेंस्ट्रुअल लीव' यानी 'पीरियड में छुट्टी' की मांग उठ रही है। जापान, दक्षिण कोरिया और इंडोनेशिया जैसे कई देश इस पर पहले से ही नीतियां बना चुके हैं। इसका मकसद महिलाओं को उनके मुश्किल दिनों में आराम करने और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने का मौका देना है, ताकि वे बिना किसी अतिरिक्त तनाव के अपना काम कर सकें।
पीरियड में छुट्टी क्यों है फायदेमंद?
1. शारीरिक फायदे:पीरियड्स के दौरान पेट और कमर में तेज दर्द (ऐंठन), बदन दर्द, जी मिचलाना, थकान और मूड स्विंग्स जैसे लक्षण बहुत आम हैं। जाहिर है, इन तकलीफों के साथ किसी भी काम पर ध्यान लगाना मुश्किल हो जाता है। पीरियड लीव महिलाओं को यह मौका देती है कि वे जरूरत पड़ने पर काम से छुट्टी लेकर आराम कर सकें। यह 'डिस्मेनोरिया' (पीरियड्स का असहनीय दर्द) जैसी गंभीर समस्या को कम करने में मदद करता है, जिससे दुनिया भर की 90% महिलाएं प्रभावित हैं।
2. मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी:पीरियड्स सिर्फ शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी थका देने वाले हो सकते हैं। हॉर्मोनल बदलाव के कारण होने वाली चिंता, तनाव और चिड़चिड़ापन काम के दबाव के साथ मिलकर और भी बढ़ जाता है। एक दिन की छुट्टी महिलाओं को इस तनाव से एक ब्रेक देती है, जिससे वे खुद की देखभाल पर ध्यान दे पाती हैं। इससे न केवल उनका मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है, बल्कि जब वे काम पर लौटती हैं, तो और भी ज्यादा प्रोडक्टिव होती हैं।
3. प्रजनन स्वास्थ्य का ख्याल:लगातार दर्द सहकर काम करते रहना और आराम न करना, लंबे समय में महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है। इससे एंडोमेट्रियोसिस, फाइब्रॉएड और PCOD जैसी समस्याएं और भी बिगड़ सकती हैं। पीरियड लीव की सुविधा देकर कंपनियां अपनी महिला कर्मचारियों के लॉन्ग-टर्म हेल्थ का भी ख्याल रखती हैं।
सबसे बड़ी चुनौती: 'इस बारे में बात मत करो' वाली सोच
बेंगलुरु के एस्टर सीएमआई अस्पताल की डॉ. सपना एन लुल्ला कहती हैं, "यह बहुत जरूरी है कि हम एक ऐसा सुरक्षित माहौल बनाएं, जहां महिलाएं बिना किसी डर के पीरियड्स से जुड़ी अपनी सेहत पर बात कर सकें।"
सबसे पहले समाज और ऑफिस, दोनों जगहों से इस शर्म को खत्म करना होगा। कर्मचारियों को यह समझाना होगा कि पीरियड लीव क्यों जरूरी है। इसका मकसद महिलाओं की जरूरतों को समझना और उन्हें एक सपोर्टिव माहौल देना है, ताकि वे अपनी सेहत का बेहतर तरीके से प्रबंधन कर सकें।

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