
ब्रिटेन में बसे भारतीयों के लिए लंदन का 'वीरास्वामी' रेस्तरां सिर्फ एक खाने की जगह नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और विरासत का प्रतीक है। 1926 में स्थापित यह रेस्तरां लंदन का सबसे पुराना भारतीय रेस्तरां माना जाता है। लेकिन अब यह प्रतिष्ठित संस्थान कानूनी विवाद में उलझ गया है और अपने ऐतिहासिक परिसर को खोने की कगार पर खड़ा है।
100 साल पुराना इतिहास, अब संकट में
वीरास्वामी की स्थापना अप्रैल 1926 में विक्टरी हाउस में हुई थी। यह रेस्तरां करीब एक सदी से भारतीय व्यंजनों का स्वाद लंदनवासियों और पर्यटकों को परोस रहा है। अब उस इमारत के मालिक ‘द क्राउन एस्टेट’ ने रेस्तरां के पट्टे को आगे न बढ़ाने का फैसला किया है। रेस्तरां का मौजूदा पट्टा जून 2025 में समाप्त हो रहा है, और क्राउन एस्टेट उस परिसर में बड़े स्तर पर मरम्मत व नवीनीकरण का काम शुरू करना चाहता है।
शाही मेहमानों की पसंद रहा है वीरास्वामी
रेस्तरां के स्वामित्व वाली कंपनी ‘एमडब्ल्यू ईट’ ने इस फैसले के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया है। कंपनी के निदेशक रणजीत मथरानी का कहना है कि वीरास्वामी सिर्फ एक रेस्तरां नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक विरासत है। उन्होंने बताया कि ब्रिटेन की दिवंगत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय, राजकुमारी ऐनी और कई अन्य शाही हस्तियां यहां भोजन कर चुकी हैं।
मथरानी ने कहा, "द क्राउन एस्टेट ने 24 जून के बाद पट्टा न बढ़ाने की बात कही है और हमें परिसर खाली करने को कहा गया है ताकि वे वहां नवीनीकरण का काम कर सकें।"
समझौते का प्रयास बेनतीजा
एमडब्ल्यू ईट ने द क्राउन एस्टेट के सामने कई विकल्प रखे जिससे रेस्तरां का संचालन जारी रखा जा सके, लेकिन इमारत के मालिक इस प्रस्ताव के लिए तैयार नहीं हुए। कंपनी का इरादा पूरे परिसर को ऑफिस स्पेस में बदलने का है और इसी कारण रेस्तरां को वहां से हटाने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
गौरतलब है कि एमडब्ल्यू ईट समूह 1990 के दशक से वीरास्वामी का संचालन कर रहा है और इसे भारत के बाहर सबसे पुराने चलने वाले भारतीय रेस्तरां के रूप में जाना जाता है।
संस्कृति और स्वाद का संगम
वीरास्वामी न केवल स्वाद के लिए मशहूर है, बल्कि यह भारतीय विरासत को विदेशों में जीवित रखने का प्रतीक भी है। लंदन के खाने के नक्शे पर यह स्थान लंबे समय से अपनी विशिष्टता के लिए जाना जाता रहा है। अब जब इसके भविष्य पर सवाल खड़ा हो गया है, तो भारतीय समुदाय समेत दुनियाभर के खाने के शौकीनों की नजरें इस कानूनी लड़ाई पर टिकी हैं।
यदि रेस्तरां अपने ऐतिहासिक स्थान से बेदखल हो जाता है, तो यह न केवल एक व्यापारिक संस्थान की समाप्ति होगी, बल्कि ब्रिटेन में भारतीय इतिहास के एक जीवंत प्रतीक का अंत भी होगा।