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Up kiran,Digital Desk : जरा सोचिए, क्या मोबाइल पर एक नंबर 'ब्लॉक' करना किसी की जान लेने की वजह बन सकता है? उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने रिश्तों पर भरोसे की नींव हिला दी है। मोहनलालगंज के एक गांव में 19 साल की बीएससी छात्रा प्रियांशी रावत को सिर्फ इसलिए अपनी जान गंवानी पड़ी क्योंकि उसने अपने सनकी प्रेमी से दूरी बनाने की कोशिश की थी।

आरोपी आलोक रावत को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस कस्टडी में उसने जो कहानी सुनाई, वह किसी फिल्मी स्क्रिप्ट जैसी नहीं, बल्कि हमारे समाज में पल रही एक बीमार मानसिकता का सबूत है।

कातिल का कबूलनामा: "उसे समझाता रहा, लेकिन वो मानी नहीं"

पुलिस पूछताछ में आरोपी आलोक ने बिना किसी पछतावे के बताया कि उसके दिमाग में खून क्यों सवार था। आलोक का कहना है कि प्रियांशी ने उसका मोबाइल नंबर 'ब्लॉक' कर दिया था। उसे शक था कि प्रियांशी किसी और लड़के से बात करने लगी है।

आलोक ने पुलिस को बताया, "मैं उसे कई बार समझाने की कोशिश करता था। मैंने उससे कहा कि मेरा नंबर अनब्लॉक कर दे, मुझसे बात करे। लेकिन वो मेरी कोई बात सुनने को तैयार नहीं थी। मुझे लग रहा था वो मुझे धोखा दे रही है। बस, इसी गुस्से में मैंने तय कर लिया कि अब इसे खत्म करना है।"

पूरी प्लानिंग के साथ आया था 'मौत का सौदागर'

आलोक ने हत्या को अंजाम देने के लिए पूरी प्लानिंग की थी। उसे प्रियांशी के घर का कोना-कोना पता था। रविवार की दोपहर जब प्रियांशी की मां काम पर गई थीं, आलोक अपनी बुलेट लेकर उसके गांव पहुंचा। उसने चालाकी दिखाते हुए अपनी बाइक घर से 200 मीटर दूर खड़ी की, ताकि बाइक की आवाज़ सुनकर प्रियांशी दरवाजा बंद न कर ले।

वह चुपचाप घर के अंदर घुसा और सीधा पहली मंजिल पर किचन में पहुंचा जहां प्रियांशी काम कर रही थी। वहां दोनों के बीच बहस हुई। प्रियांशी ने फिर से उसे अपनी जिंदगी से दूर रहने को कहा। यही बात आलोक को चुभ गई। उसने जेब से थर्माकोल कटर निकाला और ताबड़तोड़ प्रियांशी की गर्दन पर वार कर दिए।

मंजर इतना खौफनाक था कि नस कटने के बाद खून से लथपथ प्रियांशी गला पकड़कर चीखती हुई सीढ़ियों से नीचे भागी, लेकिन बरामदे तक पहुंचते-पहुंचते उसकी सांसें थम गईं।

रिश्ते की शुरुआत और दुखद अंत

प्रियांशी की मां पूनम रावत का रो-रोकर बुरा हाल है। उन्होंने बताया कि दो साल पहले एक रिश्तेदारी में प्रियांशी और आलोक की मुलाकात हुई थी। दोनों की शादी की बात भी लगभग पक्की थी। लेकिन, वक्त के साथ आलोक का असली चेहरा सामने आने लगा। वह शराब के नशे में प्रियांशी से मारपीट करने लगा था।

इसी बर्ताव से तंग आकर प्रियांशी ने शादी से इनकार कर दिया था। वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहती थी और एक अफसर बनकर अपने परिवार का सहारा बनना चाहती थी। लेकिन आलोक को यह 'ना' मंजूर नहीं थी।

गांव में सन्नाटा और दहशत

घटना के बाद से धर्मावतखेड़ा गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। ग्रामीणों ने बताया कि हत्या के बाद आलोक खून से सने कपड़ों में और हाथ में कटर लेकर घर से निकला था। उसका रूप इतना डरावना था कि किसी ने उसे रोकने की हिम्मत नहीं की।

फिलहाल, प्रियांशी के शव का पोस्टमार्टम हो चुका है और आरोपी आलोक सलाखों के पीछे है। लेकिन यह घटना एक बड़ा सवाल छोड़ गई है कि क्या 'ना' सुनने की आदत न होना आज के युवाओं को जानवर बना रहा है? एक मां का वो सपना भी कटर के वार के साथ टूट गया, जो उसने अपनी बेटी को अफसर बनते देखने के लिए संजोया था।