img

Up Kiran, Digital Desk: भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य संघर्ष और युद्ध विराम की घोषणा के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का आज लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण सुविधा का उद्घाटन करना देश की रक्षा तैयारियों को एक बड़ा बढ़ावा देगा।

एक्स पर रक्षा मंत्री का यह बयान कि उद्घाटन वर्चुअल तरीके से सुबह 11 बजे होगा इस परियोजना के महत्व को दर्शाता है। लखनऊ स्थित यह ब्रह्मोस इकाई जिसकी सालाना 80 से 100 मिसाइलें बनाने की क्षमता है निश्चित रूप से भारत के सैन्य शस्त्रागार को और मजबूत करेगी।

यह इकाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2018 में घोषित रक्षा औद्योगिक गलियारे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसकी आधारशिला 2021 में रखी गई थी। भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया के संयुक्त सहयोग से बनी ब्रह्मोस मिसाइल पहले से ही भारत की रक्षा क्षमताओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और अब इस इकाई के शुरू होने से इसका उत्पादन और तेजी से हो सकेगा।

उत्तर प्रदेश का रक्षा विनिर्माण के एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरना राज्य के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है। 300 करोड़ रुपये का यह उद्यम राज्य की रक्षा विनिर्माण महत्वाकांक्षाओं को एक महत्वपूर्ण गति देगा। यूपीआईईडीए के अधिकारी का यह कहना कि रक्षा गलियारा परियोजना के पहले चरण के तहत लगभग 1600 हेक्टेयर भूमि आवंटित की जा चुकी है और कई प्रमुख कंपनियों ने समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं यह दर्शाता है कि यह परियोजना सही दिशा में आगे बढ़ रही है।

ब्रह्मोस सुविधा के लिए 80 एकड़ जमीन का आवंटन और लखनऊ नोड में एरोलॉय टेक्नोलॉजीज सहित 12 कंपनियों को 117 हेक्टेयर जमीन का आवंटन इस क्षेत्र में रक्षा उत्पादन के भविष्य के लिए सकारात्मक संकेत हैं। यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि एरोलॉय टेक्नोलॉजीज के उत्पादों का उपयोग चंद्रयान जैसे महत्वपूर्ण मिशनों और उन्नत लड़ाकू विमानों में किया गया है।

यह भी उत्साहजनक है कि रक्षा गलियारा राज्य के छह नोड्स - लखनऊ, कानपुर, अलीगढ़, आगरा, झांसी और चित्रकूट में फैला हुआ है और इन क्षेत्रों में भूमि आवंटन की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। झांसी जो सबसे बड़े नोड्स में से एक है में भी लगभग आधी भूमि आवंटित की जा चुकी है। 

--Advertisement--