Up Kiran, Digital Desk: भारत सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का नाम बदलकर अब इसे ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ कर दिया है। यह बदलाव न केवल योजना का नाम बल्कि इसके कार्यान्वयन और लाभों में भी व्यापक सुधार लेकर आया है, जो सीधे तौर पर ग्रामीण परिवारों की जीवन-शैली और आय पर असर डालेगा।
योजनाओं में बदलाव से मिलेंगे नए लाभ
मनरेगा का उद्देश्य शुरू से ही ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की गारंटी देना था। इस योजना के तहत लोगों को सड़कों का निर्माण, जल संरक्षण, तालाब खुदाई, बागवानी और सामुदायिक विकास जैसे कार्य दिए जाते हैं। अब इसके नए नाम के साथ सरकार ने इस योजना में कुछ महत्वपूर्ण सुधार किए हैं।
इन सुधारों का उद्देश्य न केवल रोजगार के अवसर बढ़ाना है, बल्कि ग्रामीण श्रमिकों की आय में भी वृद्धि करना है। इसके तहत अब श्रमिकों को अधिक दिन काम करने का मौका मिलेगा, और उनकी मजदूरी भी बढ़ाई गई है।
रोजगार की अवधि में विस्तार
एक महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि अब गारंटीकृत रोजगार के दिनों की संख्या 100 से बढ़ाकर 125 कर दी गई है। इसका मतलब यह हुआ कि अब ग्रामीण श्रमिकों को साल में अधिक दिन काम करने का अवसर मिलेगा, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति और समृद्ध हो सकेगी।
बढ़ी हुई मजदूरी: ग्रामीण परिवारों के लिए राहत
इसके अलावा, न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाकर 240 रुपये प्रति दिन कर दिया गया है। इससे ग्रामीण मजदूरों की दैनिक आय में सीधा इज़ाफा होगा। यह कदम न केवल उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाएगा, बल्कि स्थानीय बाजारों और छोटे व्यवसायों को भी लाभ पहुंचेगा, क्योंकि अधिक आय होने से लोगों की खरीदारी क्षमता में भी वृद्धि होगी।
ग्रामीण रोजगार को मिलेगा नया आयाम
‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ का उद्देश्य सिर्फ सहायता देना नहीं, बल्कि ग्रामीण लोगों को स्वावलंबी बनाना है। अब, अधिक रोजगार के अवसर और बेहतर मजदूरी के साथ, यह योजना ग्रामीण इलाकों के लोगों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का एक और कदम साबित हो सकती है। इस योजना के तहत रोजगार का बढ़ता दायरा न केवल पलायन को रोकने में मदद करेगा, बल्कि स्थानीय विकास को भी प्रोत्साहित करेगा।
समग्र विकास की दिशा में एक कदम
यह नया बदलाव ग्रामीण विकास की दिशा में सरकार की ओर से एक सकारात्मक पहल मानी जा रही है। ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ को लेकर ग्रामीण परिवारों में उत्साह देखा जा रहा है। यह सुनिश्चित करता है कि अब उन्हें रोजगार के लिए किसी भी प्रकार की अनिश्चितता का सामना न करना पड़े, और उन्हें अपने परिवार की स्थिति सुधारने का एक ठोस अवसर मिलेगा।
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