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Up Kiran, Digital Desk: उत्तराखंड सरकार ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था को नया रूप देने के लिए बड़ा कदम उठाया है। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) ने सोमवार को उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी। इसके लागू होते ही मदरसा बोर्ड भंग कर दिया जाएगा और सभी मदरसों को उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा बोर्ड से संबद्ध होना जरूरी होगा।

अब अल्पसंख्यक स्कूल पढ़ाएंगे NCF और NEP 2020 के तहत

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि जुलाई 2026 से सभी अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF) और नई शिक्षा नीति (NEP 2020) को अपनाएंगे। उन्होंने कहा, "हर बच्चा अब एक जैसी शिक्षा पाएगा, चाहे वह किसी भी समुदाय से हो।"

मदरसे होंगे मुख्यधारा से जुड़े, मान्यता जरूरी

इस नए कानून के तहत, राज्य में संचालित सभी मदरसों को अब राज्य अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण से मान्यता लेनी होगी। इसके बाद ही वे उत्तराखंड शिक्षा बोर्ड से संबद्ध हो सकेंगे। सरकार का मानना है कि इससे शिक्षा प्रणाली और अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और गुणवत्तापूर्ण बन सकेगी।

देश का पहला राज्य बना उत्तराखंड, मदरसा बोर्ड को किया खत्म

राज्यपाल की मंजूरी के साथ ही उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है जिसने मदरसा बोर्ड को समाप्त करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री कार्यालय की प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि यह कदम अल्पसंख्यक समुदायों को समान शिक्षा का अवसर देने की दिशा में एक बड़ी पहल है।

विवाद भी खड़ा, मुस्लिम संगठनों की आलोचना

हालांकि इस फैसले का कुछ मुस्लिम संगठनों ने विरोध भी किया है। उनका कहना है कि यह धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप है। कई नेताओं ने सरकार पर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का आरोप लगाया है।