Up Kiran, Digital Desk: पश्चिम बंगाल में खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। राज्य में करीब सात करोड़ से अधिक लोगों को हर महीने मुफ्त राशन मुहैया कराया जा रहा है। यह कदम खास तौर पर गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए राहत का कारण बना है, जिससे उनकी रोजमर्रा की भूख और पोषण संबंधी चुनौतियां काफी हद तक कम हुई हैं।
‘दुआरे राशन’ योजना से घर-घर राशन की पहुंच
मुख्यमंत्री ने बताया कि ‘खाद्यासाथी’ योजना के तहत लगभग नौ करोड़ लोगों को राशन प्रदान किया जा रहा है। इनमें से लगभग सात करोड़ पचास लाख लोग ‘दुआरे राशन’ अभियान के जरिए सीधे अपने घरों तक राशन पाकर सहजता महसूस कर रहे हैं। बाकी लाभार्थी नजदीकी राशन दुकानों से भी अपनी आवश्यकता के अनुसार अनाज प्राप्त कर सकते हैं, जो योजना की व्यापकता और सरलता को दर्शाता है।
सामाजिक त्यौहारों में राहत पैकेज
त्यौहारों जैसे दुर्गा पूजा, काली पूजा, छठ पूजा और रमजान के दौरान राज्य सरकार ने आवश्यक खाद्य वस्तुओं की उपलब्धता पर विशेष ध्यान दिया है। इस दौरान गरीब परिवारों को चीनी, आटा और रमजान के समय चना रियायती कीमतों पर उपलब्ध करवाया जाता है, जिससे त्योहारों का आनंद अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचता है।
पौष्टिक भोजन के लिए ‘मां’ परियोजना
सिर्फ राशन तक ही सीमित नहीं, बल्कि पौष्टिक आहार मुहैया कराने के लिए ‘मां’ योजना भी लागू की गई है। पांच रुपये की मामूली कीमत पर गरीब वर्ग के लोग स्वस्थ और पोषण युक्त भोजन ले पा रहे हैं। राज्य में अब तक 356 ‘मां कैंटीन’ संचालित हैं, जिनसे आठ करोड़ से अधिक लोग लाभान्वित हो चुके हैं। यह पहल सामाजिक न्याय और स्वास्थ्य के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
किसानों की आर्थिक सुरक्षा और ‘सुफल बांग्ला’
राज्य सरकार ने किसानों के हित में भी ठोस कदम उठाए हैं। इस वर्ष 16.5 लाख किसानों से सीधे 56.33 लाख टन धान की खरीद की गई, जिससे उन्हें बेहतर मूल्य प्राप्त हुआ। इसके अलावा ‘सुफल बांग्ला’ नाम से 745 उचित मूल्य की दुकानें खोली गई हैं, जहां सब्जियां, फल और अब मछली भी किफायती दामों पर मिल रही हैं। इस पहल ने न केवल उपभोक्ताओं के लिए आवश्यक वस्तुओं को सुलभ बनाया है, बल्कि स्थानीय किसानों और मछुआरों को भी समर्थन दिया है।
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