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Up Kiran, Digital Desk: इस साल मानसून ने महाराष्ट्र में 16 दिन पहले दस्तक दे दी है, जिससे किसानों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है। खास तौर पर आम के किसान प्रभावित हुए हैं। उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र देश में आम का सबसे बड़ा उत्पादक है। इन आमों का निर्यात देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी किया जाता है। हालांकि, इस साल आम के किसानों को 500 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है। कुछ दिन पहले अमेरिका ने भारत से आए 4 करोड़ रुपये के आमों को नष्ट कर दिया था। इससे व्यापारियों और किसानों को भी भारी नुकसान हुआ।
दुनिया को बेहतरीन हापुस आमों की आपूर्ति करने वाले कोंकण क्षेत्र में इस साल प्री-मानसून बारिश के कारण आम के उत्पादन में 50 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है। आम पेड़ों पर पकने से पहले ही गिर गए या खराब हो गए। फसल खराब होने के डर से ज्यादातर किसानों ने पकने से पहले ही अपने आमों को तोड़ लिया। नतीजतन, इन आमों को अचार बनाने के लिए कम कीमत पर बेचना पड़ा, जिससे किसानों को अपेक्षित आय नहीं हुई।
पिछले कुछ दिनों में आई आंधी और बारिश से कोंकण के कई आम के बाग़ बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. पेड़ों से आम गिर गए, जबकि कुछ जगहों पर पेड़ ही क्षतिग्रस्त हो गए. डर है कि हापुस के उत्पादन में गिरावट से बाज़ार में आम की आवक कम होगी और कीमतों पर असर पड़ेगा.
उत्तर प्रदेश में भी 'आम' पर संकट
महाराष्ट्र के साथ-साथ देश के सबसे बड़े आम उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में भी आम की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है. देश के कुल आम उत्पादन का 25 प्रतिशत से ज़्यादा हिस्सा अकेले उत्तर प्रदेश में होता है. मगर वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, बेमौसम बारिश और तूफ़ान का आम की फसल पर बड़ा असर पड़ रहा है. मई और जून आम पकने के लिए अहम महीने होते हैं और इसी दौरान किसानों को जलवायु परिवर्तन के कारण बड़े नुकसान का डर रहता है.
सहारनपुर में हाल ही में आए तेज़ तूफ़ान ने न सिर्फ़ कई आम के पेड़ों को उखाड़ दिया बल्कि उन पर लगी आम की फसल भी पूरी तरह नष्ट होकर ज़मीन पर गिर गई. तेजी से बदलते तापमान का असर आम पर भी दिख रहा है जो तूफान के बावजूद पेड़ों से चिपके हुए हैं। हर साल उत्तर प्रदेश से करोड़ों रुपये के आम निर्यात किए जाते हैं, मगर इस साल एक पैसे का भी आम निर्यात नहीं हो सका, वाणिज्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी है।
फसल में गिरावट की वजह क्या है
फसल वैज्ञानिकों के मुताबिक आम की फसल को अच्छी तरह से विकसित होने और आम के पकने के लिए 27 डिग्री या उससे अधिक का स्थिर तापमान चाहिए होता है। हालांकि, हर साल मई के महीने में पड़ने वाली भीषण गर्मी इस साल कम देखने को मिल रही है। कहीं बारिश तो कहीं तूफान के कारण तापमान औसत से 4-5 डिग्री कम है। यह स्थिति आम उत्पादकों के लिए किसी आफत से कम नहीं है, क्योंकि इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ रहा है। ज्यादातर किसानों की 60 फीसदी फसल चौंसा और दशहरी की किस्मों से आती है और कम तापमान का इन दोनों फसलों पर खासा असर पड़ा है। इनके उत्पादन में 50 फीसदी से ज्यादा की कमी आई है। वाणिज्य मंत्रालय भी चिंतित!
भारत दुनिया का सबसे बड़ा आम उत्पादक और निर्यातक देश है। देश में आम की करीब 1000 किस्मों का उत्पादन होता है। कृषि एवं निर्यात संवर्धन प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 में भारत ने 32 हजार टन आम का निर्यात किया था, जिससे करीब 500 करोड़ रुपये की आय हुई थी। खाड़ी देशों के अलावा ये आम ब्रिटेन और अमेरिका भी भेजे गए थे।
हालांकि, वाणिज्य मंत्रालय ने चिंता जताई है कि इस साल किसानों को भारी नुकसान होने की संभावना है। विशेषज्ञों की राय है कि सरकार से मिलने वाली मदद भी तभी काम आ सकती है, जब आम पेड़ पर अच्छे से पके हों। कुल मिलाकर, इस साल मौसम की वजह से आम के सीजन पर खतरा मंडरा रहा है, जिसका सीधा असर आम किसानों और आम प्रेमियों पर पड़ेगा।
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