_1916582550.png)
Up Kiran, Digital Desk: बरेली की सड़कों पर हाल ही में एक असामान्य नज़ारा देखने को मिला। जींस-टॉप पहने नौ युवतियां राहगीरों से पैसे मांगती दिखाई दीं न कोई झोला, न कोई फटे कपड़े, न कोई भिखारी जैसी छवि। बस एक कहानी, एक इमोशनल अपील और कुछ मिनट की बातचीत में 100-200 रुपये हाथ में।
पिछले ही हफ्ते बलिया में ऐसी ही चार युवतियां जींस-टीशर्ट पहनकर रेलवे स्टेशन के पास लोगों से पैसे मांगती देखी गई थीं। अब सवाल ये है कि क्या यह कोई नया ट्रेंड है, या किसी संगठित गिरोह की रणनीति।
भीख मांगने का ‘मॉडर्न’ तरीका
बरेली के आंवला-बदायूं रोड पर जो कुछ हुआ, उसने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया। स्थानीय लोगों के अनुसार, ये युवतियां राह चलते लोगों को रोकती थीं और कहती थीं, “हम बहुत परेशान हैं, घर की हालत खराब है, थोड़ी मदद कर दीजिए।”
कुछ लोगों ने इनकी बातों पर भरोसा कर पैसे भी दिए, लेकिन कईयों को शक हुआ। आंवला पुलिस को सूचना मिली और तुरंत एक्शन लेते हुए नौ युवतियों को थाने लाया गया।
गुजरात से आईं, पर मकसद संदिग्ध
थाने में पूछताछ के दौरान पता चला कि सभी युवतियां गुजरात के अहमदाबाद की रहने वाली हैं। इनमें से किसी के पास यह स्पष्ट जवाब नहीं था कि वे बरेली कैसे और क्यों पहुंचीं।
युवतियों के नाम क्या क्या
उर्मी (28), नीतू (25), कुसुम (25), अंजलि (21), सुनीता (26), रीना (20), मनीषा (20), पूनम (25), और टीना (26)।
पुलिस ने सभी पर शांति भंग की धारा में मामला दर्ज कर उन्हें एसडीएम कोर्ट में पेश किया। बाद में दो-दो लाख रुपये के निजी मुचलके पर उन्हें रिहा कर दिया गया।
गिरोह की आशंका, स्थानीयों में चिंता
मामले ने तब गंभीर मोड़ लिया जब स्थानीय लोगों ने आशंका जताई कि यह कोई छोटा-मोटा मामला नहीं है। उनका मानना है कि ये महिलाएं सिर्फ बरेली ही नहीं अन्य शहरों में भी इसी तरीके से पैसे वसूलने का काम करती होंगी।
कुछ लोगों ने तो ये तक कहा कि अगर कोई उन्हें पैसे न दे, तो वे झूठे आरोप लगाकर फंसा सकती हैं। पुलिस भी अब इस एंगल से जांच कर रही है कि क्या इनके साथ कोई और गैंग एक्टिव है।
पुलिस का बयान: मजबूरी सही, तरीका गलत
आंवला कोतवाल कुंवर बहादुर सिंह ने मीडिया को बताया कि युवतियों ने अपना अपराध कबूल किया है। उन्होंने बताया कि आर्थिक तंगी के कारण वे यह कर रही थीं।
--Advertisement--