
महाराष्ट्र में हाल ही में भाषा को लेकर जो विवाद छिड़ा है, उसमें भोजपुरी सिनेमा के लोकप्रिय अभिनेता और सांसद दिनेश लाल यादव ‘निर्हुआ’ ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ-साथ राज ठाकरे को सीधे चुनौती दी है।
निर्हुआ ने एक सार्वजनिक सभा में कहा, “मैं भोजपुरी बोलता हूं, दम है तो मराठी में मेरी बात सुनो और जवाब दो।” उनकी इस बात ने महाराष्ट्र में नई राजनीतिक हलचल खड़ी कर दी है। दरअसल, पिछले कुछ समय से राज्य में मराठी भाषा को सरकारी कामकाज में अनिवार्य करने की मांग जोर पकड़ रही है। उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी मनसे ने इस कदम के समर्थन में रैली-सभाएं आयोजित की हैं।
इस बीच भोजपुरी समुदाय और कलाकारों ने इसे भाषा के नाम पर अलगाव की राजनीति करार दिया है। निरहुआ ने कहा कि भाषा कोई दीवार नहीं हो सकती जो लोगों को बांट दे। उन्होंने थप्पड़ मारने की बात कहते हुए चुनौती दी कि जो भी मराठी भाषा का सम्मान चाहते हैं, पहले उन्हें भोजपुरी में अपना संदेश देना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि वे भाषाई विविधता में विश्वास रखते हैं और सभी भारतीय भाषाओं का आदर करते हैं।
राज ठाकरे की पार्टी ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन मनसे के कई कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर निरहुआ के बयान की निंदा कर रहे हैं। वे कहते हैं कि यह भाषा विवाद को और गरमा देगा।
भाषा विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत में 22 संविधानिक भाषाएं हैं और हर भाषा का अपना सांस्कृतिक महत्व है। उनका कहना है कि किसी एक भाषा को बढ़ावा देने के लिए दूसरों को नीचा दिखाना सही तरीका नहीं है।
अब यह देखने वाली बात होगी कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे निरहुआ की चुनौती स्वीकार करते हैं या नहीं। इससे पहले भी राजनीति में भाषा को लेकर कई बार वार-पलटवार होते रहे हैं। इस नए विवाद ने एक बार फिर देश की भाषाई विविधता और उसकी राजनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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