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marchula bus accident: अल्मोड़ा के मर्चूला बस हादसे में बराथ मल्ला गांव के छह लोगों की जान चली गई है, जिससे पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई है। इस त्रासदी में कई परिवारों को अपने प्रियजनों को खोने का दुख सहना पड़ा है। कुछ ने अपने माता-पिता को खोया, तो कुछ ने बेटा और बेटी। गांव में मातम का माहौल है, जहां किसी के माथे का सिंदूर उजड़ गया है, तो किसी का भाई इस दुनिया से चला गया है।

5 नवंबर को भी गांव में चूल्हे नहीं जले। बस में गांव के 16 लोग रामनगर जाने के लिए सवार हुए थे। जब मीडिया की टीम बराथ गांव पहुंची, तो हर घर में सन्नाटा और शोक का माहौल था। हादसे में राकेश ध्यानी और उनकी बेटी मानसी की मौत हो गई। राकेश गांव में चक्की चलाते थे और परिवार के एकमात्र कमाने वाले थे, जबकि उनकी बेटी मानसी काशीपुर में पढ़ाई कर रही थी। वह अपनी बेटी के लिए रहने की व्यवस्था करने जा रहे थे।

इस हादसे से पूरे गांव में कोहराम मच गया है। राकेश की 78 वर्षीय मां भगवती देवी और पत्नी सविता देवी का रो-रोकर बुरा हाल है। यशोदा देवी के नाती शुभम की भी इस हादसे में मौत हो गई, जिससे परिवार में और भी दुख बढ़ गया है। यशोदा देवी का बेटा विशाल और दो पोते विपाशु और तुषार भी हादसे में घायल हुए हैं। वहीं, ग्रामीण विनोद पोखरियाल और महानंद की हालत अब स्थिर बताई जा रही है। सैनिक वीरेंद्र सिंह के बेटे विशाल को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

बता दें कि मर्चूला बस हादसे में कुल 11 लोगों की मौत हुई है, जिसमें धुमाकोट के 10 और अल्मोड़ा की सल्ट तहसील के एक व्यक्ति शामिल हैं। इन सभी का अंतिम संस्कार सल्ड महादेव घाट पर सामूहिक रूप से किया गया। इस घटना में पौड़ी जिले के धुमाकोट और आसपास के क्षेत्रों के 30 लोगों ने अपनी जान गंवाई। एक साथ 11 चिताएं जलते देख हर किसी की आंखों में आंसू थे।

पूरे क्षेत्र के लोग अंतिम विदाई देने के लिए घाट पर इकट्ठा हुए। शल्ड महादेव घाट धुमाकोट और शल्ट क्षेत्र के कई गांवों का श्मशान घाट है। यहां मंगलवार को पौड़ी प्रशासन द्वारा मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी की व्यवस्था की गई थी।

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