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Up Kiran, Digital Desk: लखनऊ में बसपा की भव्य महारैली में कुछ ऐसा हुआ, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। बसपा प्रमुख मायावती ने राज्य की योगी सरकार की सराहना करते हुए कहा कि स्मारक स्थल की मरम्मत के लिए जो टिकटों से पैसा आया, उसे दबाया नहीं गया, बल्कि ईमानदारी से उसका इस्तेमाल किया गया। मायावती का यह बयान सीधे-सीधे सपा सरकार पर निशाना था, जिसने पहले ऐसा नहीं किया था।

उन्होंने कहा कि इस बार की सरकार ने पारदर्शिता से काम किया है, जो काबिले तारीफ है। वहीं, इस बयान के बाद सियासी हलकों में हलचल मच गई है।

अखिलेश यादव का तंज: बिना नाम लिए साधा निशाना

बसपा प्रमुख की टिप्पणी पर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी चुप्पी तोड़ी। उन्होंने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर बिना किसी का नाम लिए लिखा, "क्योंकि उनकी अंदरूनी मिलीभगत जारी है, तभी तो वो ज़ुल्म करने वालों के आभारी हैं।"

यह बयान साफ़ तौर पर मायावती की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया माना जा रहा है, जो अब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।

2007 की बहुजन सरकार और विपक्ष की चालें

अपने संबोधन में मायावती ने याद दिलाया कि जब 2007 में बसपा को बहुमत मिला था, तभी से कांग्रेस, सपा और भाजपा ने मिलकर उन्हें केंद्र की सत्ता से दूर रखने की साजिशें शुरू कर दी थीं। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर भी सवाल उठाए और कहा कि यही EVM साजिश का बड़ा हिस्सा बनी।

कांग्रेस पर भी साधा तीखा वार

मायावती ने कांग्रेस की पुरानी नीतियों को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि इमरजेंसी लगाकर कांग्रेस ने संविधान और बाबा साहेब डॉ. आंबेडकर के सिद्धांतों का अपमान किया था। आज वही कांग्रेस नेता संविधान की प्रति हाथ में लेकर नौटंकी कर रहे हैं, जबकि उन्होंने कभी दलित समाज को सही सम्मान नहीं दिया।

"दलितों-पिछड़ों के लिए नहीं थी सपा सरकार": मायावती का आरोप

सपा शासनकाल पर हमला बोलते हुए मायावती ने कहा कि उस दौर में दलित और पिछड़े वर्गों का खुला शोषण हुआ। अपराधी बेखौफ थे और कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं थी। उन्होंने कहा कि उस समय समाज में डर और अराजकता का माहौल था।

“हमने पूरा किया आंबेडकर और कांशीराम का सपना”

बसपा सुप्रीमो ने कहा कि डॉ. आंबेडकर का सपना था कि दबे-कुचले समाज के लोग सत्ता की चाबी अपने हाथ में लें। यह सपना कांशीराम के जीवन में भले न सका, लेकिन बसपा ने उसे पूरा कर दिखाया।

उन्होंने याद दिलाया कि बसपा ने तीन बार गठबंधन सरकार चलाई और एक बार पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई। ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ की सोच के साथ दलितों, पिछड़ों और समानता में विश्वास रखने वालों के लिए काम किया गया।

कांशीराम स्मारक पर सियासी जंग

मायावती ने अखिलेश यादव पर तीखा वार करते हुए कहा कि उन्होंने सत्ता में रहने के बावजूद कांशीराम स्मारक के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा कि जब सत्ता में नहीं होते, तब बसपा के नेताओं की याद आती है, लेकिन सत्ता में आते ही सब भूल जाते हैं।

उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि बसपा सरकार के समय जिन स्थानों का नाम कांशीराम जी के नाम पर रखा गया था, सपा सरकार ने बाद में उनमें बदलाव कर दिया।

बसपा सिर्फ पार्टी नहीं, एक आंदोलन है

रैली के अंत में मायावती ने कहा कि बसपा एक राजनीतिक दल भर नहीं, बल्कि एक आंदोलन है जो समाज के कमजोर तबके को उनका हक दिलाने के लिए हमेशा सक्रिय रहेगा। उन्होंने कहा कि विरोधी चाहे जितनी भी साजिशें कर लें, बसपा कभी पीछे नहीं हटेगी।