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Up Kiran, Digital Desk:  इटली की राजधानी रोम के बिल्कुल बीचों-बीच, प्रसिद्ध कोलोसियम के नज़दीक स्थित एक मध्ययुगीन मीनार का एक हिस्सा सोमवार को ढह गया, जिससे वहां काम कर रहे मज़दूर मलबे में फंस गए।बचाव अभियान के दौरान हुए एक दूसरे हादसे में एक कर्मचारी की दुखद मौत हो गई, जबकि कई अन्य घायल हो गए।

यह घटना रोम के सबसे व्यस्त पर्यटक इलाकों में से एक, इंपीरियल फोरम के पास स्थित "टोरे देई कोंटी" (Torre dei Conti) में हुई, जो 13वीं सदी की एक ऐतिहासिक इमारत है।घटना के समय, इस टॉवर में यूरोपीय संघ द्वारा वित्त पोषित एक जीर्णोद्धार (renovation) का काम चल रहा था।

क्या हुआ था घटना के दिन?

सोमवार सुबह लगभग 11:30 बजे, अचानक टॉवर का एक हिस्सा भरभराकर गिर गया, जिससे आसपास की गलियों में मलबा फैल गया और धूल का एक बड़ा गुबार उठा।हादसे के समय इमारत के अंदर चार कर्मचारी काम कर रहे थे।

तत्काल बचाव अभियान शुरू किया गया और तीन कर्मचारियों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।[2][3][4] इनमें से एक 64 वर्षीय कर्मचारी को सिर में गंभीर चोट लगने के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।दो अन्य कर्मचारियों को मामूली चोटें आईं और उन्होंने अस्पताल जाने से इनकार कर दिया।

बचाव अभियान के दौरान हुआ दूसरा हादसा

पहले हादसे के लगभग दो घंटे बाद, जब दमकलकर्मी मलबे में फंसे चौथे कर्मचारी को बचाने का प्रयास कर रहे थे, टॉवर का एक और हिस्सा गिर गयाइस दूसरे हादसे ने बचाव कार्य को और भी जटिल और खतरनाक बना दिया।

घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद, बचाव दल ने मलबे में फंसे कर्मचारी ओक्टे स्ट्रोइसी को जीवित बाहर निकाल लिया था और वह होश में भी थे।लेकिन, गंभीर चोटों के कारण अस्पताल ले जाते ही उन्होंने दम तोड़ दिया। इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने कर्मचारी की मौत पर गहरा दुख व्यक्त किया है।

टोरे देई कोंटी एक ऐतिहासिक धरोहर

टोरे देई कोंटी का निर्माण 13वीं शताब्दी की शुरुआत में पोप इनोसेंट III ने अपने परिवार के निवास के लिए करवाया था। यह मीनार मूल रूप से लगभग 50-60 मीटर ऊंची थी, लेकिन 1349 में आए एक भूकंप और बाद में 17वीं शताब्दी में हुए अन्य हादसों में इसे काफी नुकसान पहुंचा था। हादसे के वक्त इस 29-मीटर ऊंचे टॉवर का जीर्णोद्धार चल रहा था ताकि इसे फिर से संरक्षित किया जा सके।

रोम के मेयर रॉबर्टो गुआल्टिएरी और इटली के संस्कृति मंत्री एलेसेंड्रो गिउली ने भी घटनास्थल का दौरा किया। ऐतिहासिक इमारतों के रखरखाव और सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।