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Up Kiran, Digital Desk: मैक्सिको की सीनेट ने 50% तक के आयात शुल्क को मंजूरी दे दी है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह टैरिफ भारत, चीन, दक्षिण कोरिया और अन्य एशियाई देशों से आने वाली वस्तुओं पर लागू होगा। यह निर्णय 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होगा और खासकर उन देशों से आयातित उत्पादों जैसे कि ऑटोमोबाइल, ऑटो पार्ट्स, कपड़े, प्लास्टिक और स्टील पर लागू होगा। इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य मैक्सिको के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना और अतिरिक्त राजस्व जुटाना है।

क्यों लिया गया यह निर्णय?

यह कदम राष्ट्रपति क्लाउडिया शाइनबाम द्वारा घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहित करने की कोशिश के तहत उठाया गया है। हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि यह निर्णय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को खुश करने के उद्देश्य से लिया गया हो सकता है। अमेरिका, जो मैक्सिको का प्रमुख व्यापारिक साझेदार है, इस व्यापार समझौते के तहत अपने हितों की समीक्षा कर रहा है। ट्रंप ने पहले ही मैक्सिको से आयातित चीनी उत्पादों पर शुल्क बढ़ाने की चेतावनी दी थी। इसके अलावा, ट्रंप ने मैक्सिकन स्टील और एल्यूमीनियम पर भी भारी शुल्क लगाने की धमकी दी है।

भारत पर प्रभाव

इस नए टैरिफ का भारत पर खासा असर पड़ने वाला है। भारत का मैक्सिको के साथ व्यापार साल 2024 में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका था, और इस निर्णय के बाद व्यापार में गिरावट आ सकती है। भारत, जो मैक्सिको का नौवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है, अब तक मैक्सिको को अधिकांश ऑटोमोबाइल और ऑटो पार्ट्स निर्यात करता रहा है। 2024 में मैक्सिको को भारत से 8.9 बिलियन डॉलर का निर्यात हुआ था, जबकि आयात सिर्फ 2.8 बिलियन डॉलर था।

अब जब मैक्सिको ने इन वस्तुओं पर भारी शुल्क लगाने की घोषणा की है, तो यह आयात में कमी ला सकता है। इससे न केवल व्यापार संतुलन प्रभावित होगा, बल्कि भारतीय निर्यातकों के लिए भी यह एक बड़ी चुनौती हो सकती है।

सामान्य लोगों पर असर

इस फैसले का सीधा असर न केवल व्यापारिक दुनिया पर पड़ेगा, बल्कि आम लोगों की जेब पर भी प्रभाव डालेगा। जिन उत्पादों पर शुल्क लगाया जाएगा, उनकी कीमतों में वृद्धि हो सकती है। खासकर उन उपभोक्ताओं के लिए यह चिंता का विषय हो सकता है, जो भारतीय निर्मित ऑटोमोबाइल्स और अन्य सामानों का उपयोग करते हैं।