Up Kiran, Digital Desk: टेक्नोलॉजी की दुनिया में AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर एक नई और बड़ी जंग छिड़ गई है. इस बार लड़ाई के केंद्र में हैं Microsoft, Google (OpenAI के जरिए) और उनका भविष्य. Microsoft, जो अभी तक OpenAI के ChatGPT जैसे मॉडल्स पर काफी हद तक निर्भर रहा है, अब इस निर्भरता को खत्म करने और AI की दुनिया में 'आत्मनिर्भर' बनने के लिए एक बड़ा दांव खेलने जा रहा है.
कंपनी ने अपने ही अंदर एक नई और सुपर-एडवांस AI रिसर्च लैब बनाई है, जिसका नाम है फ्रंटियर AI (Frontier AI). इस लैब की कमान दी गई है AI की दुनिया के सबसे बड़े नामों में से एक, मुस्तफा सुलेमान को, जिन्हें Microsoft ने हाल ही में Google की AI कंपनी DeepMind से तोड़कर अपनी टीम में शामिल किया था.
क्या है यह फ्रंटियर AI लैब और इसका मकसद क्या है?
'फ्रंटियर AI' का मतलब होता है AI टेक्नोलॉजी का सबसे एडवांस्ड और अगला स्तर. यह लैब Microsoft के लिए वही काम करेगी जो DeepMind गूगल के लिए और OpenAI खुद अपने लिए करता है.
इस लैब का सीधा-सीधा मकसद है
OpenAI पर निर्भरता खत्म करना: अभी Microsoft अपने Bing Chat (अब Copilot) और दूसरे AI प्रोडक्ट्स के लिए OpenAI के GPT मॉडल्स का इस्तेमाल करता है, जिसके लिए उसे OpenAI को भारी-भरकम रकम चुकानी पड़ती है. इस नई लैब का लक्ष्य खुद के AI मॉडल बनाना है जो OpenAI के मॉडल्स जितने ही या उनसे भी ज्यादा पावरफुल हों.
गूगल से सीधा मुकाबला: गूगल के पास अपनी खुद की AI रिसर्च यूनिट DeepMind है. अब 'फ्रंटियर AI' लैब बनाकर Microsoft सीधे-सीधे गूगल को टक्कर देना चाहता है और AI की दौड़ में उससे आगे निकलना चाहता है.
AI में 'आत्मनिर्भरता': यह Microsoft के AI 'आत्मनिर्भर' बनने की योजना का सबसे बड़ा कदम है. इससे कंपनी अपने AI प्रोडक्ट्स पर पूरा कंट्रोल रख सकेगी और उसे किसी बाहरी कंपनी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा.
मुस्तफा सुलेमान क्यों हैं इतने खास?
मुस्तफा सुलेमान गूगल की कंपनी DeepMind के को-फाउंडर रह चुके हैं. उन्हें AI की दुनिया का जीनियस माना जाता है. उन्हें Microsoft में लाने को AI इंडस्ट्री का सबसे बड़ा 'हायरिंग कूप' (यानी किसी बड़ी कंपनी से सबसे बड़े टैलेंट को तोड़ना) माना जा रहा है. Microsoft ने उन्हें न सिर्फ यह नई लैब बनाने की, बल्कि पूरे कंज्यूमर AI डिवीजन (जिसमें Copilot, Bing और Edge ब्राउजर शामिल हैं) की भी जिम्मेदारी दी है.
इस कदम से साफ है कि Microsoft अब AI को सिर्फ एक फीचर के तौर पर नहीं देख रहा, बल्कि इसे अपनी पूरी कंपनी का भविष्य मानकर चल रहा है, और इस भविष्य को वह किसी और के हाथों में नहीं छोड़ना चाहता. यह AI की दुनिया में एक नए अध्याय की शुरुआत है.
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