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Up Kiran, Digital Desk: हाल ही में भारत और दक्षिण कोरिया के बीच एक बड़ी साझेदारी की ख़बर सामने आई है, जो हमारे समुद्री और रक्षा क्षेत्र के लिए बहुत अहम हो सकती है. हमारे देश के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री, हरदीप सिंह पुरी ने दक्षिण कोरियाई दिग्गज कंपनी HD हुंडई के चीफ काई चेंग होंग के साथ एक खास मुलाकात की है. इस मुलाकात में शिपबिल्डिंग यानी जहाज निर्माण के क्षेत्र में सहयोग की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा हुई है.

आखिर क्यों है यह साझेदारी इतनी अहम?

यह बैठक भारत की उस महत्वाकांक्षा को दिखाती है, जिसमें हम 'आत्मनिर्भर भारत' बनने और दुनिया के प्रमुख रक्षा निर्माता देशों में शामिल होने का सपना देखते हैं. शिपबिल्डिंग सिर्फ बड़े-बड़े जहाज बनाने तक सीमित नहीं है, यह एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ उच्च तकनीक, इंजीनियरिंग कौशल और हजारों लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होते हैं.

भारत के लिए फायदे

तकनीकी हस्तांतरण: HD हुंडई जैसी विश्वस्तरीय कंपनी से भारत को नई और अत्याधुनिक शिपबिल्डिंग तकनीक सीखने का मौका मिलेगा. आत्मनिर्भरता: यह साझेदारी भारत को अपने जहाजों के निर्माण में और ज़्यादा आत्मनिर्भर बनने में मदद करेगी, जिससे हम विदेशी आयात पर अपनी निर्भरता कम कर सकेंगे. रोजगार सृजन: जहाज निर्माण क्षेत्र में विस्तार से लाखों स्किल्ड और अनस्किल्ड श्रमिकों के लिए नौकरियां पैदा होंगी. रक्षा क्षेत्र को बढ़ावा: इससे हमारे रक्षा बेड़े को मज़बूती मिलेगी, क्योंकि स्वदेशी रूप से अधिक जहाजों का निर्माण हो पाएगा.

दोनों देशों को लाभ:

साझेदारी मजबूत: भारत और दक्षिण कोरिया के बीच व्यापारिक और रणनीतिक संबंध और भी गहरे होंगे. आर्थिक विकास: दोनों देशों के आर्थिक विकास को गति मिलेगी.

यह मुलाकात बताती है कि भारत समुद्री उद्योग, जहाज निर्माण और रक्षा उत्पादन में अपनी क्षमताओं को बढ़ाना चाहता है. HD हुंडई जैसी वैश्विक दिग्गज कंपनी का भारत के साथ जुड़ने में दिलचस्पी दिखाना इस बात का प्रमाण है कि भारत एक भरोसेमंद और मजबूत भागीदार बन रहा है. उम्मीद है कि यह चर्चा जल्द ही किसी ठोस समझौते में बदल जाएगी, जिससे भारत के शिपबिल्डिंग सेक्टर को नई उड़ान मिलेगी.