
Up Kiran, Digital Desk: राष्ट्रीय वन्यजीव दिवस 2025 पर गुजरात ने अपनी बढ़ती जैव विविधता और संरक्षण की कामयाबियों को गर्व के साथ दुनिया के सामने रखा है. एशियाई शेरों की लगातार बढ़ती संख्या से लेकर प्रवासी पक्षियों, जंगली गधों, डॉल्फिन और चिंकारा जैसे अनगिनत जीवों के संरक्षण में गुजरात एक मिसाल बनकर उभरा है.
एशियाई शेरों का एकमात्र घर हुआ और आबाद
मई 2025 में हुई जनगणना के अनुसार, राज्य में शेरों की आबादी बढ़कर 891 हो गई है, जिसमें 196 नर और 330 मादाएं शामिल हैं. यह सर्वे 11 जिलों में 35,000 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में किया गया, जिससे एक बार फिर यह साबित हो गया कि गिर के जंगल ही एशियाई शेरों का आखिरी प्राकृतिक घर हैं. साल 2001 में जहां केवल 327 शेर थे, वहीं 2020 में यह संख्या 674 हुई और इस साल 891 तक पहुंच गई.
लाखों प्रवासी पक्षियों का पसंदीदा ठिकाना
गुजरात प्रवासी पक्षियों के लिए भी एक सुरक्षित पनाहगाह बना हुआ है. बर्ड डायवर्सिटी रिपोर्ट 2023-24 के अनुसार, हर साल लगभग 18 से 20 लाख पक्षी गुजरात आते हैं. पक्षियों की प्रजातियों के मामले में द्वारका जिला सबसे आगे है, जहां 456 तरह के पक्षी देखे गए हैं. वहीं, कच्छ जिले में 161 प्रजातियों के 4.5 लाख से ज़्यादा पक्षी आते हैं. जामनगर, मेहसाणा, बनासकांठा और अहमदाबाद भी पक्षियों के प्रमुख ठिकाने माने गए हैं.
बढ़ रही है जंगली गधों और डॉल्फिन की संख्या
सिर्फ कच्छ के छोटे और बड़े रण में पाए जाने वाले जंगली गधों की आबादी में भी बढ़ोतरी हुई है. 2024 की जनगणना में इनकी संख्या 7,672 दर्ज की गई, जो पिछली गणना के 6,082 के मुकाबले 26% ज़्यादा है. इसके साथ ही नीलगाय, चिंकारा और रेगिस्तानी लोमड़ी जैसे जानवरों की भी गिनती की गई. अपनी 1600 किलोमीटर लंबी तटरेखा के साथ, गुजरात समुद्री जीवन के लिए भी एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया है. 2024 के एक सर्वे में कच्छ से लेकर भावनगर तक 680 डॉल्फिन दर्ज की गईं, जो अब इको-टूरिज्म का एक नया आकर्षण बन रही हैं.
'करुणा अभियान' बना पक्षियों का जीवनदान
राज्य सरकार का 'करुणा अभियान' भी वन्यजीव संरक्षण में मील का पत्थर साबित हो रहा है. यह अभियान हर साल उत्तरायण पतंग महोत्सव के दौरान घायल पक्षियों को बचाने के लिए चलाया जाता है. 2025 में, 17,000 से ज़्यादा घायल पक्षियों का इलाज किया गया, जिनमें से 15,572 को बचा लिया गया. 2017 से अब तक, इस अभियान ने महोत्सव के दौरान घायल हुए 1.12 लाख से ज़्यादा पक्षियों में से लगभग 92% को बचाया है.
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