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Up Kiran, Digital Desk: देश के सामने बड़ी समस्या बनती जा रही है जनसांख्यिकी का बदलाव, जो समाज की एकजुटता को कमजोर कर सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दशहरे की तैयारियों के बीच एक गंभीर बात कही है कि देश की सुरक्षा और सामाजिक संतुलन के लिए सिर्फ बाहरी ताकतें और घुसपैठिए ही खतरा नहीं हैं, बल्कि आबादी में हो रहे परिवर्तन भी बड़ा खतरा हैं।
जनसंख्या परिवर्तन: देश की एकता पर बड़ा असर
नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 साल पूरे होने के जश्न में बोलते हुए, पीएम मोदी ने साफ किया कि भारतीय समाज की ताकत उसकी विविधता में छिपी है। लेकिन अगर जाति, भाषा और क्षेत्रीय आधार पर होने वाले विवादों को नजरअंदाज किया गया तो ये देश की नींव को हिला सकते हैं। उन्होंने कहा कि सामाजिक समानता को बढ़ावा देना जरूरी है, खासकर वंचित वर्गों के लिए। यह कदम राष्ट्र की एकता को मजबूत करता है।
बाहरी खतरे से कहीं अधिक खतरनाक है सामाजिक विभाजन
मोदी ने विस्तार से बताया कि बाहरी ताकतें देश को बांटने की कोशिश करती रहती हैं, लेकिन आज जो सबसे बड़ा संकट है, वह अंदरूनी विभाजन है। अतिवाद, क्षेत्रीयता और जाति-भाषा आधारित टकराव देश को कमजोर करते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर 'विविधता में एकता' का सिद्धांत कमजोर हुआ तो राष्ट्र की ताकत भी खत्म हो जाएगी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का 100वां वर्ष और नया डाक टिकट
प्रधानमंत्री ने संघ के शताब्दी समारोह के मौके पर एक विशेष डाक टिकट भी जारी किया। उन्होंने बताया कि संघ का मुख्य मकसद देश की सेवा और समाज के हर वर्ग को सशक्त बनाना है। संघ की शाखाओं में कभी भी मतभेद नहीं होता क्योंकि सभी का फोकस 'राष्ट्र प्रथम' होता है।
‘राष्ट्र प्रथम’ और ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का संदेश
पीएम मोदी ने संघ की सोच को ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के रूप में बताया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद भी इस विचार को राष्ट्रीय स्तर पर लाने में कई बार रोक-टोक हुई, लेकिन संघ ने अपने मिशन से कभी समझौता नहीं किया। मोदी ने जोर देकर कहा कि भारत की पहचान उसकी विविधता है, और इसे बनाए रखना ही असली ताकत है।