Up Kiran, Digital Desk: आज 31 अक्टूबर है, यानी राष्ट्रीय एकता दिवस. यह कोई आम तारीख नहीं है, बल्कि यह उस महान शख्सियत को याद करने का दिन है जिन्होंने बिखरे हुए भारत को एक माला में पिरोने का असंभव काम कर दिखाया था. हम बात कर रहे हैं भारत के 'लौह पुरुष' सरदार वल्लभभाई पटेल की, जिनकी आज जयंती है.
यह दिन हमें याद दिलाता है कि हम भाषा, धर्म और संस्कृति में कितने भी अलग क्यों न हों, आखिर में हम सब एक हैं - हम सब भारतीय हैं. जैसा कि केएम एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष मीर शोएब अली ने कहा, "यह दिन 'अनेकता में एकता' की हमारी शानदार विरासत का जश्न मनाने और उसे मज़बूत करने का दिन है."
क्यों ख़ास है यह दिन: ज़रा सोचिए, जब 1947 में देश आज़ाद हुआ, तो वह 500 से भी ज़्यादा छोटी-बड़ी रियासतों में बंटा हुआ था. हर राजा अपना अलग देश चाहता था. ऐसे में सरदार पटेल ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और सूझबूझ से इन सभी रियासतों को भारत में शामिल किया और अखंड भारत का सपना सच कर दिखाया. अगर वो न होते, तो शायद आज भारत का नक्शा कुछ और ही होता.
आज पूरे देश में 'रन फॉर यूनिटी' जैसे कार्यक्रम हो रहे हैं, जो हमें एक साथ आकर दौड़ने और देश की एकता को बनाए रखने का संदेश देते हैं. यह दिन हमें सरदार पटेल के योगदान को याद रखने और यह प्रण लेने के लिए प्रेरित करता है कि हम देश की एकता और अखंडता को हमेशा बनाए रखेंगे.
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