Up Kiran, Digital Desk: कभी-कभी ज़िंदगी की भागदौड़ में हमारा मन बहुत अशांत हो जाता है, है न? हमें समझ नहीं आता कि इस बेचैनी को कैसे दूर करें. ऐसे में हमारी परंपराओं में कुछ बहुत ही सरल और खूबसूरत उपाय छिपे हैं, जो मन को एक गहरा सुकून देते हैं. ऐसा ही एक उपाय है सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा.
सोमवार का दिन इतना ख़ास क्यों है: सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है. शिव जी को भोलेनाथ भी कहा जाता है, क्योंकि वे बहुत ही भोले हैं और अपने भक्तों से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. उन्हें खुश करने के लिए किसी बहुत बड़े यज्ञ या महंगे कर्मकांड की ज़रूरत नहीं होती. आपका सच्चा मन और एक लोटा जल ही काफ़ी है.
एक लोटे जल की शक्ति: आपने अक्सर लोगों को सुबह-सुबह मंदिर जाकर शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए देखा होगा. यह सिर्फ़ एक रस्म नहीं है. जब हम शिवलिंग पर जल की धारा अर्पित करते हैं, तो यह हमारे मन के अंदर चल रही उथल-पुथल को शांत करने का प्रतीक है. माना जाता है कि ऐसा करने से न सिर्फ़ भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है, बल्कि हमारे जीवन में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का भी संचार होता है.
अगर आपके पास ज़्यादा समय नहीं है, तो बस सुबह स्नान के बाद पास के किसी शिव मंदिर में जाएं और "ॐ नमः शिवाय" का जाप करते हुए शिवलिंग पर सादा जल चढ़ा दें. आप महसूस करेंगे कि आपके मन को एक अद्भुत शांति मिल रही है.
शिव आरती का सुकून: शाम के समय, घर पर या मंदिर में जब शिव जी की आरती होती है - "ॐ जय शिव ओंकारा...", तो उसका माहौल ही कुछ और होता है. उस आरती की ध्वनि और दीये की रौशनी हमारे अंदर की सारी नकारात्मकता को मिटा देती है और मन को एक नई ऊर्जा से भर देती है.
यह सब करने में ज़्यादा समय नहीं लगता, लेकिन इसका असर पूरे हफ़्ते आपके मन और व्यवहार पर दिखाई देता है. यह हमें धैर्य और शांति सिखाता है. तो, अगली बार जब भी मन अशांत हो, सोमवार के दिन शिव जी की शरण में जाकर देखें, आपको यक़ीनन बहुत अच्छा महसूस होगा.
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