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Up Kiran, Digital Desk: मुगल काल का भारतीय खानपान अपनी विविधता और स्वाद के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध था। मुग़ल दरबार की रसोई न केवल अपनी राजनीतिक ताकत के लिए, बल्कि शाही भोजन के लिए भी जानी जाती थी। उस समय का खाना महज स्वाद तक ही सीमित नहीं था, बल्कि हर व्यंजन में साहित्य, संस्कृति और सुगंध की झलक मिलती थी। शाही रसोई में परोसी जाने वाली डिशेज इतनी लाजवाब थीं कि वे आज भी लोगों की जुबां पर रहती हैं।

बिरयानी से परे, मुग़ल रसोई का और भी था स्वाद

जब मुग़ल खानपान की बात होती है, तो सबसे पहले बिरयानी का नाम लिया जाता है। हालांकि, बिरयानी के अलावा भी मुग़ल रसोई में कई तरह के स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते थे। निहारी, रोगन जोश, शाही कबाब, और पेशावर पुलाव जैसी डिशेज दरबार में परोसी जाती थीं। इन व्यंजनों में इस्तेमाल होने वाले महंगे मसाले, जैसे केसर, इलायची, जायफल, और जावित्री, भोजन को एक अलग ही स्वाद और खुशबू देते थे। इन खास मसालों के साथ इन डिशेज को धीमी आंच पर पकाया जाता था, ताकि उनका स्वाद और सुगंध पूरी दरबार को महका सके।

शाही मिठाइयों का जादू

मुगल दरबार में सिर्फ मसालेदार और नमकीन व्यंजन नहीं होते थे, बल्कि शाही मिठाइयों का भी खास स्थान था। शाही टुकड़ा, फिरनी, जर्दा, बादाम हलवा, और खुरमा जैसे डेज़र्ट्स मुग़ल रसोई का हिस्सा थे। इन मिठाइयों में सूखे मेवे, गुलाब जल, और केसर जैसे खास तत्व होते थे। हर मिठाई को इस तरह से सजाया जाता था कि वह न सिर्फ स्वाद में बेहतरीन होती थी, बल्कि देखने में भी एक कला का उदाहरण लगती थी।

भारतीय और विदेशी स्वाद का मिश्रण

मुगल रसोई ने भारतीय और विदेशी व्यंजनों का बेहतरीन मिश्रण प्रस्तुत किया। फारसी और मध्य एशियाई व्यंजनों का गहरा प्रभाव था, जिसकी झलक कुर्मा, यखनी, और सीक कबाब जैसी डिशेज में देखी जा सकती थी। वहीं, भारतीय व्यंजन जैसे खिचड़ी, दाल, और रोटी भी मुग़ल दरबार की थाली का हिस्सा थे। यही नहीं, सोने-चांदी की थालियों में परोसा गया खाना और प्रत्येक डिश के साथ चटनी और सलाद ने उस भोजन के अनुभव को और भी खास बना दिया था।