उत्तराखंड में लोकसभा इलेक्शन 19 अप्रैल को पहले फेज के मतदान में संपन्न हो गए हैं। किंतु, पिछली बार की तुलना में राज्य में इस लोकसभा चुनाव में मतदान का प्रतिशत कम रहा, जिसका कारण चुनाव बहिष्कार माना जा रहा है।
दरअसल, जिसके चलते सीएम पुष्कर सिंह धामी सरकार ने उत्तराखंड लोकसभा चुनाव 2024 में मतदान का बहिष्कार करने वाले गांव की रिपोर्ट बनाई है। जिसको लेकर सीएम धामी ने प्रमुख सचिव आरके सुधांशु को सभी गांव की नाराजगी की वजह तलाशने और उसका प्रभावी समाधान करने के निर्देश दिए। बता दें कि लोकसभा इलेक्शन 2024 में उत्तराखंड के 34 से अधिक गांव के लोगों ने मतदान का पूर्ण बहिष्कार किया।
वहीं बहिष्कार करने का कारण सड़क न बनना, गांव में मूलभूत सुविधाओं और विकास कार्यों की मांग पूरी न होना जैसे कई अन्य समस्याएं सामने आई। साथ ही धरना प्रदर्शन और ज्ञापन के बावजूद भी कई दुर्गम क्षेत्रों में सड़क नहीं बन पाई। बता दें कि चकराता में खारसी मोटर मार्ग पर दावा पुल से बैराज तक 16 किलोमीटर मोटर मार्ग मंजूरी के बाद भी नहीं बन पाया तो दूसरी ओर मसूरी में क्यारा धनोल्टी मोटर मार्ग का शिलान्यास तो सन् 2019 में हो गया था, किंतु, निर्माण शुरू नहीं हुआ। साथ ही रुद्रप्रयाग के इस गांव के लोगों को भी अपनी सड़क का आठ साल से इंतजार है।
इसी तरह कई अन्य जिलों में भी लोगों को काफी समस्याएं हैं, जिसका हल न मिलने पर लोगों ने चुनाव बहिष्कार करना ही सही समझा। प्रदेश में सीएम के सख्त निर्देश के बाद शासन ने सभी 13 जिलों के अफसरों से उन सभी गांवों के बारे में पूरी जानकारी मांगी जो चुनाव बहिष्कार में शामिल थे।
मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव आरके सुधांशु ने कहा कि चुनाव बहिष्कार की घटना बेहद गंभीर है। आगे से ऐसा न हो इसके लिए हमें जल्द से जल्द कार्यवाही करने के निर्देश मिले हैं। जिन भी गांव तक सड़क नहीं पहुंची है या जिन गांव में सड़क स्वीकृत हो गई है फिर भी काम शुरू नहीं हो पाया, उनके बारे में भी हमने तत्काल प्रभाव से काम शुरू कर दिया है और लंबित कार्य के मामलों के निपटारे के बारे में बातचीत जारी है जल्द ही लोगों की समस्याओं का हल धरातल स्तर पर शुरू हो जाएगा।
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