
Up Kiran, Digital Desk: प्रवर्तन निदेशालय ने गुरुवार को मुंबई में मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) की जांच के तहत नए सिरे से तलाशी अभियान (Fresh Searches) चलाया, यह कथित तौर पर 65 करोड़ रुपये के मीठी नदी डी-सिल्टिंग घोटाले (Mithi river desilting scam) से जुड़ा है, आधिकारिक सूत्रों ने बताया. यह घोटाला देश की आर्थिक राजधानी में भ्रष्टाचार (Corruption) और नगर निगमों में अनियमितताओं (Irregularities in Municipal Corporations) का एक बड़ा उदाहरण है.
सूत्रों ने बताया कि शहर में लगभग आठ ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है, जो कुछ ठेकेदारों से जुड़े हैं. इन ठेकेदारों ने कथित तौर पर सिल्ट डंप करने के संबंध में बृहन्मुंबई नगर निगम (Brihanmumbai Municipal Corporation - BMC) को "फर्जी" एमओयू (False MoUs) प्रस्तुत किए थे. यह संकेत देता है कि कैसे कागजों पर हेराफेरी करके करोड़ों का घोटाला किया गया.
ईडी ने इस मामले में पहले भी कई जगह छापे मारे थे, जिसमें अभिनेता डिनो मोरिया (Dino Morea), उनके भाई सैंटिनो (Santino), कुछ ठेकेदार और कंपनियों के साथ-साथ कुछ बीएमसी अधिकारियों के परिसर भी शामिल थे. इस मामले में बॉलीवुड से कनेक्शन भी सामने आने से लोगों की दिलचस्पी और बढ़ गई है.
कैसे शुरू हुआ 65 करोड़ का 'खेला'? बीएमसी और ठेकेदारों की मिलीभगत पर ईडी की निगाह!
ईडी का मामला मुंबई पुलिस (Mumbai Police) की आर्थिक अपराध शाखा (Economic Offences Wing - EOW) द्वारा मई में दायर एक प्राथमिकी (FIR) से निकला है. इस प्राथमिकी में 13 लोगों के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं, जिनमें ठेकेदार (Contractors) और नागरिक अधिकारी (Civic Officials) शामिल हैं. यह आरोप 2017 से 2023 तक मीठी नदी की डी-सिल्टिंग (Desilting) के लिए दिए गए टेंडरों में कथित 65.54 करोड़ रुपये के घोटाले (Rs 65.54 crore scam) से संबंधित है. मीठी नदी मुंबई से होकर बहती है और मेट्रो शहर के लिए तूफान-पानी की निकासी चैनल (Stormwater Drainage Channel) के रूप में कार्य करती है, जिससे इसकी सफाई बहुत महत्वपूर्ण है.
राजनीतिक दांवपेंच और जांच का दबाव: किसका था बीएमसी पर 'कंट्रोल'?
उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के नेतृत्व वाली अविभाजित शिवसेना (Undivided Shiv Sena) ने 1997 से 2022 तक नकदी-समृद्ध बीएमसी (Cash-rich BMC) पर नियंत्रण रखा, जब तक कि पार्टी का 2022 में विभाजन नहीं हो गया. 2022 में सामान्य निकाय की अवधि समाप्त होने के बाद, नागरिक निकाय को महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) द्वारा नियंत्रित किया गया, जिसकी अध्यक्षता तब एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) कर रहे थे. यह घोटाला महाराष्ट्र की राजनीति में भी उबाल ला सकता है, खासकर बीएमसी चुनावों (BMC Elections) से पहले.
पुलिस ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि बीएमसी अधिकारियों (BMC Officials) ने डी-सिल्टिंग अनुबंध (Desilting Contract) के लिए टेंडर को इस तरह से तैयार किया कि यह मशीनरी के एक विशेष आपूर्तिकर्ता (Particular Supplier of Machinery) को लाभ पहुंचाए, और ठेकेदारों ने कथित तौर पर मुंबई से कीचड़ के परिवहन के लिए धोखाधड़ी वाले बिल (Fraudulent Bills) बनाए.
ईओडब्ल्यू और ईडी ने इससे पहले मोरिया (Dino Morea) और उनके भाई के अलावा कुछ अन्य लोगों से भी पूछताछ की थी.
मुंबई नागरिक अधिकारियों ने 2005 की बाढ़ (2005 floods) के बाद नदी की डी-सिल्टिंग की योजना बनाई थी, जिसने शहर को पूरी तरह से ठप कर दिया था. यह दर्शाता है कि एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजना में कैसे भ्रष्टाचार हुआ है, जो भविष्य में भी ऐसी आपदाओं का कारण बन सकता है. इस घोटाले की जांच से राज्य में वित्तीय धोखाधड़ी (Financial Fraud in the State) के बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश हो सकता है.