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Up Kiran, Digital Desk: हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल मुनीर को दो बार व्हाइट हाउस बुलाया, जो किसी भी लिहाज से एक बड़ी राजनीतिक घटना है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के आर्मी प्रमुख की भूमिका में बदलाव, ट्रंप की पाकिस्तान के प्रति बढ़ती सहानुभूति, और मुनीर का भारत को परमाणु हमले की धमकी देना ये सभी घटनाएं वैश्विक कूटनीति में एक नया मोड़ ला सकती हैं।
ट्रंप द्वारा मुनीर को महत्व देना न केवल भारत बल्कि तीन अन्य महत्वपूर्ण देशों चीन, रूस और पाकिस्तान को भी एक संदेश भेज रहा है। खासकर यदि पाकिस्तान अमेरिका के करीब आता है, तो ये चीन से दूर होने की ओर इशारा करता है, जो ट्रंप की रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
चीन-पाकिस्तान संबंधों में बदलाव की संभावना
चीन और पाकिस्तान के बीच गहरे आर्थिक, सैन्य और रणनीतिक रिश्ते हैं, जिनमें CPEC (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) जैसी परियोजनाएँ शामिल हैं, जिस पर चीन ने करीब 62 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। ये गलियारा पाकिस्तान को पश्चिमी चीन से लेकर अरब सागर तक जोड़ेगा। चीन पाकिस्तान को कर्ज देकर उसे अपने प्रभाव में रखता है और पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर में चीन की मदद से अपनी सैन्य ताकत को बढ़ाया था।
अब अमेरिका पाकिस्तान को चीन से अलग करने की कोशिश कर रहा है, ताकि उसे अपनी रणनीतिक स्थिति मजबूत करने का मौका मिले। पाकिस्तान, खासकर अफगानिस्तान और ईरान तक पहुंच के मामले में अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार बन सकता है।
पाकिस्तान को क्या संदेश भेज रहा है ट्रंप
ट्रंप ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ की बजाय सीधे मुनीर को महत्व दिया है, जो स्पष्ट रूप से पाकिस्तान की राजनीति में सेना की बढ़ती ताकत को उजागर करता है। इसका संदेश पाकिस्तान के नेतृत्व को है कि वहाँ लोकतंत्र से ज्यादा, सेना का शासन है। शाहबाज सिर्फ एक प्रतीकात्मक प्रधानमंत्री हैं, वही वास्तविक ताकत सेना के पास है।
मुनीर को मिल रही इस वैश्विक महत्वता से उनका मनोबल भी बढ़ेगा, और शायद यही वजह है कि उन्होंने भारत को परमाणु हमले की धमकी दी। इससे यह साफ हो जाता है कि वे पाकिस्तान में सत्ता हासिल करने के ख्वाब देख रहे हैं, और ट्रंप की उपस्थिति से यह संभव भी हो सकता है।
रूस के प्रति ट्रंप का संदेश
हालाँकि पाकिस्तान और रूस के रिश्ते अब मजबूत हो रहे हैं, लेकिन ट्रंप की मुनीर को दी गई उपस्थिति एक संदेश भेजती है। अक्टूबर 2024 में, रूस ने पाकिस्तान-रूस बिजनेस और इन्वेस्टमेंट फोरम की मेज़बानी की थी, जिसमें 70 से ज्यादा पाकिस्तानी और 100 से अधिक रूसी कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। इससे यह साफ होता है कि पाकिस्तान और रूस के रिश्ते अब केवल व्यापार तक ही सीमित नहीं हैं।
अक्टूबर 2024 में, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में रूस के प्रधानमंत्री और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के बीच व्यापार, ऊर्जा और कनेक्टिविटी को लेकर चर्चा हुई थी। लेकिन ट्रंप का मुनीर को सीधे व्हाइट हाउस बुलाना, पाकिस्तान के रूस के साथ रिश्तों पर भी असर डाल सकता है, और इसे एक प्रकार का अमेरिका की रणनीति के तहत देखा जा सकता है।
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