मुंबई। संजीव शर्मा बालीवुड और टालीवुड की दुनिया का एक जाना पहचाना नाम बन चुका है। मुंबई में कोई गाड फादर नहीं बस ऐक्टिंग को लेकर पागलपन की हद तक जुनून और कुछ अलहदा करने की चाहत संजीव को मुंबई खींच लाई। संजीव अर्जुन की तरह चिड़िया की आंख देखते रहे और उन्होंने इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान ही बना डाली।
संजीव से एक पार्टी में मुलाकात हुई और चल पड़ा बातचीत का सिलसिला। बकौल संजीव उदरपूर्ति के लिए एक स्कूल टीचर की नौकरी की लेकिन वक्त कहीं किसी और सफ़र के लिए ले जाना चाहता था। कहते हैं रियल लाइफ में एक शिक्षक से बड़ा किरदार किसी का नहीं होता। स्कूल में क्लास के बच्चों के साथ अलग, आफिस में अलग, कालेज के बाहर अलग, घर में अलग....वैसे भी जिदंगी जिस तरह से करवटें बदलती रहती है, वह न जाने कितने किरदार गढ़ दिया करती है।
संजीव कहते हैं कि बकौल शिक्षक मन नाटक और बॉलीवुड की दुनिया में एक्टिंग की ओर चला गया और कुछ खूबसूरत सपने अंकुरित होने लगे। ख्वाब और ख्वाहिशों की उड़ान मुंबई ले आई। मन ने ठानी तो 2015 में पूरी तरह से मुंबई आ गया फिर शुरू हुए ऑडिशंस के दौर और जोर-आजमाइश। संजीव कहते हैं मुंबई की दुनिया सेल्फ सेंटर्ड है लेकिन मैं उन खुशकिस्मत लोगों की फेहरिस्त में शामिल हूं जिसके लिए लोग खड़े हुए।
धीरे-धीरे मुझे टीवी सीरियल्स में और फिल्मों में छोटे-मोटे रोल मिलने लगे। कारवां बढ़ा और किरदारों की लंबाई भी बढ़ती गई । इसके बाद मुझे लाजवंती, मेरी दुर्गा, अम्मा जैसे धारावाहिकों में मुझे अहम किरदार निभाने का मौका मिला। धारावाहिक 'राधा कृष्ण' में एक बहुत बड़ा ब्रेक मिला जिसमे मैंने अक्रूर की भूमिका निभाई और लोगों के द्वारा पसंद किया। इसके बाद 'राम सिया के लव कुश', में ऋषि वाल्मीकि का रोल अदा करना का मौका मिला जो मेरे करियर का सबसे बड़ा बेंचमार्क बना।यह सिलसिला शुरू हुआ और जय कन्हैया लाल की सीरियल में मुझे फिर से अकरूर की भूमिका निभाने का मौका मिला।
मैंने सवाल दागा कि और फिल्मों के बारे में बताओ? संजीव कहते हैं फिल्मों की बात करें तो थैंक गॉड, गुड न्यूज़, पद्मावत, जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम करने का भी मौका मिला। रोड बहुत छोटे थे पर फिर भी मुझे फिल्मी दुनिया का बहुत ही गहरा अनुभव प्राप्त हुआ और बहुत ही प्रभावशाली किरदार मैंने उसमें निभाए।
शिव शक्ति सीरियल में माता पार्वती के पिता हिमवान का किरदार निभाने का मौका मिला जो मुझे अपनी एक्टिंग और प्रशंसा दोनों की ऊंचाइयों तक ले गया। धार्मिक सीरियल करते समय मुझे सबसे ज्यादा लोगों की भावनाओं का और लोगों के प्यार को ध्यान में रखना होता है कि वे उसे किरदार को किस नजर से देखते हैं तो आज के जमाने में बरसों पहले की जिंदगी को जीना होता है। यह काफी चैलेंजिंग होता है पर उसमें मजा भी बहुत आता है।
पोशाक, आभूषणों को पहनना और पीरियड को फील करना, यह सब गजब का आनंद देता है।
संजीव मानते हैं कि काम केवल काम होता है उसे सच्ची लगन, मेहनत और ईमानदारी से किया जाए तो कोई भी काम छोटा नहीं होता। जो भी कलाकार बॉलीवुड की दुनिया में आकर अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं यही संदेश मैं उनको देना चाहूंगा कि अपनी मेहनत, ईमानदारी और लग्न से ही आप लोगों के दिलों को जीत सकते हैं।
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