
Up Kiran, Digital Desk: पश्चिम बंगाल (West Bengal) में स्थित एक केंद्रीय विश्वविद्यालय, विश्वभारती (Visva-Bharati) के अधिकारियों ने एक बेहद रोमांचक पहल की है! अब हर रविवार को परिसर (campus) के प्रसिद्ध और ऐतिहासिक स्थलों (famous spots) की एक विशेष झलक पाने के लिए 'हेरिटेज वॉक' (heritage walk) शुरू की गई है. विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि यह कदम आगंतुकों को रवींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) की अद्भुत विरासत और शांतिनिकेतन (Santiniketan) के अद्वितीय वातावरण से गहराई से जोड़ने का एक शानदार अवसर है. यह पहल यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल (UNESCO World Heritage Site) शांतिनिकेतन के पर्यटन को भी बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.
इतिहास की गलियों में 'पहला कदम': 3 अगस्त को हुई थी शुरुआत, अब हर रविवार होगा 'मंत्रमुग्ध' करने वाला अनुभव!
विश्वभारती के प्रवक्ता और वरिष्ठ संकाय सदस्य अतीग घोष ने पीटीआई (PTI) को बुधवार को बताया कि पहली हेरिटेज वॉक (heritage walk) 3 अगस्त को शुरू हुई थी. अब यह हर रविवार को नियमित रूप से प्रशिक्षित गाइडों (trained guides) के नेतृत्व में आयोजित की जाएगी. यह पहल एक लंबे अंतराल, लगभग पांच साल, के बाद आई है, जब विश्वविद्यालय परिसर को पर्यटकों के लिए फिर से खोला गया है, जिससे इस ऐतिहासिक स्थल को देखने का नया अवसर मिला है.
रवींद्रनाथ टैगोर का 'अमर' सपना: जहां भारतीय परंपरा मिली वैश्विक शिक्षा से, एक अनोखा संगम
विश्वभारती (Visva-Bharati), जिसकी स्थापना महान कवि रवींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) ने 1921 में शांतिनिकेतन (Santiniketan) में की थी, वास्तव में एक अद्वितीय संस्थान है. यह भारतीय परंपराओं (Indian traditions) को वैश्विक शैक्षिक आदर्शों (global educational ideals) और चिंतन के साथ अद्भुत रूप से जोड़ता है. टैगोर का विचार एक ऐसे शिक्षा केंद्र की स्थापना करना था, जहाँ पूर्व और पश्चिम के ज्ञान का समन्वय हो, और उनका आदर्श वाक्य 'यत्र विश्वम् भवति एकनीड़म्' (जहां सारा विश्व एक घर है) इस संस्था के मूल में निहित है. यही दूरदर्शी दृष्टिकोण है जिसने इस संस्था को 'लिविंग हेरिटेज यूनिवर्सिटी' (Living Heritage University) का गौरवपूर्ण दर्जा दिलाया है.
सैकड़ों लोग हुए ‘दीवाने 5 घंटे के वॉक में दिखी टैगोर की ‘जादुई दुनिया
अतीग घोष ने उत्साहपूर्वक बताया कि 3 अगस्त को सुबह 10 बजे से दोपहर 3:30 बजे तक आयोजित पांच वॉकिंग टूर (walking tours) में सैकड़ों लोगों ने भाग लिया. इसमें स्थानीय निवासियों के साथ-साथ बीरभूम जिले (Birbhum district) के बाहर और विदेशों से आए पर्यटक (tourists) भी शामिल थे. यह भारी भागीदारी शांतिनिकेतन और टैगोर के प्रति लोगों के गहरे लगाव को दर्शाती है.
आगंतुकों ने कई प्रसिद्ध स्थानों का भ्रमण किया, जैसे कांच की दीवारों वाला 'उपासना गृह' (Upasana Griha), 'उत्तरायण' परिसर (Uttarayana complex), 'छतिमतला' (Chhhatimtala), 'कला भवन' (Kala Bhavana), और 'रवींद्र भवन संग्रहालय' (Rabindra Bhavana Museum). विश्वविद्यालय द्वारा नियुक्त जानकार गाइडों (university-appointed guides) ने उन्हें इन स्थलों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व (historic and cultural significance) से अवगत कराया, जिससे उनका अनुभव और समृद्ध हुआ. यह वॉक शांतिनिकेतन की समृद्ध विरासत का एक जीवंत चित्रण है, जिसे 2023 में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया था.
कैसे करें 'विरासत वॉक' में शामिल? तस्वीरें खींचने की छूट, पर वीडियोग्राफी क्यों 'मना'? जानें नियम!
घोष ने आगंतुकों के लिए प्रक्रिया स्पष्ट करते हुए कहा, "वॉक वाले दिन सुबह 9 बजे से रवींद्र-भवन (Rabindra-Bhavana) काउंटर पर टिकट उपलब्ध होंगे. भागीदारी 'पहले आओ, पहले पाओ' (first-come, first-served) के आधार पर होगी, और प्रत्येक वॉकिंग टूर में अधिकतम 35 लोग ही शामिल हो सकेंगे."
उन्होंने आगे एक महत्वपूर्ण बात जोड़ी, "नोबेल पुरस्कार विजेता (Nobel Laureate) रवींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) से जुड़ी लोगों की भावनाओं और संवेदनाओं को ध्यान में रखते हुए, वॉक के दौरान मोबाइल फोटोग्राफी (mobile photography) की अनुमति दी गई है, ताकि वे इन यादगार क्षणों को कैद कर सकें. हालांकि, वीडियोग्राफी (videography) की अनुमति नहीं है." यह निर्णय संभवतः परिसर की शांति और उसकी ऐतिहासिक अखंडता (historical integrity) को बनाए रखने के साथ-साथ एक आरामदायक अनुभव सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है.
--Advertisement--