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नई दिल्ली / पटना। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। सीट शेयरिंग को लेकर विभिन्न छोटी पार्टियों और नेताओं को गठबंधन में रोके रखना बीजेपी नेतृत्व के लिए मुश्किल साबित हो रहा है। मंगलवार को लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के अध्यक्ष पशुपति पारस ने मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। मीडिया से मुख़ातिब पारस ने कहा कि हमारे साथ व्यक्तिगत तौर पर नाइंसाफी हुई है।
बताते चलें कि एक दिन पहले ही बिहार में एनडीए ने सीट शेयरिंग की घोषणा की थी, जिसमे के भतीजे चिराग पासवान को तरजीह दी गई। इससे पशुपति पारस बीजेपी नीत एनडीए गठबंधन से नाराज हैं।
पशुपति पारस मोदी कैबिनेट में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री थे। पारस ने अब अपना रास्ता एनडीए से अलग कर लिया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि पारस लालू यादव की पार्टी आरजेडी से गठबंधन करेंगे। मोदी कैबिनेट से इस्तीफे के बाद पारस ने कहा कि मैंने लगन व वफादारी से एनडीए की सेवा की। इसके बावजूद मेरे साथ व्यक्तिगत तौर पर नाइंसाफी हुई।
पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने आरजेडी से बातचीत के सवाल पर कहा कि हम अपनी पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं से रायमशविरा कर ही भविष्य की रणनीति तय करेंगे। बताते चलें कि बिहार में एनडीए के घटक दलों में सीट शेयरिंग में पारस के भतीजे चिराग पासवान को तरजीह दी गई। इसी बात से नाराज होकर पारस ने इस्तीफा दे दिया है। पशुपति पारस एनडीए में हाजीपुर सीट बरकरार रखना चाहते थे.
गौरतलब है कि लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के संस्थापक रामविलास पासवान के निधन के बाद पार्टी बिखर गयी। एलजेपी के छह सांसद थे, जिसमे से पांच सांसद पारस गुट के साथ चले गई और पारस मोदी कैबिनेट में मंत्री बनाए गए। रामविलास पासवान के सुपुत्र चिराग पासवान इसके बाद भी सक्रिए रहे और अब एनडीए में उन्हें तरजीह भी मि रही है।